फ्रांस अब Brexit की भाषा बोल रहा है, ये EU को मजबूत करेगा या तोड़कर कर रख देगा

 


यूरोपीय संघ कुछ ऐतिहासिक परिवर्तनों की ओर बढ़ रहा है क्योंकि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ब्रेक्जिट की भाषा बोलना शुरू कर दिया है। यूरोपीय संघ कुछ ऐतिहासिक परिवर्तनों की ओर बढ़ रहा है क्योंकि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ब्रेक्जिट की भाषा बोलना शुरू कर दिया है। जैसे यूनाइटेड किंगडम ने कमजोर सीमा नियंत्रणों के कारण ईयू से बाहर निकलने का फैसला किया था, वैसे ही मैक्रों फ्रांस और ऑस्ट्रिया में हाल के आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि में यूरोपीय संघ के शेंगेन ज़ोन में मजबूत सीमा नियंत्रण की आवश्यकता को लेकर अब मुखरता से बोल रहे हैं।

यह संयोग ही है कि फ्रांस आज वहीं खड़ा है, जहां कुछ साल पहले ब्रिटेन खड़ा था, जब उसने यूरोपीय संघ को छोड़ने का मन बना लिया था। लेकिन फ़्रांस के मजबूत इरादे तो पूरी दुनिया पिछले कुछ दिनों में देख ही चुकी है, और उसी को मद्देनज़र वर्तमान हालात को देखते हुए लगता है कि मैक्रों यूरोपीय संघ का नेतृत्व करना चाहते हैं। अब वह सीमा नियंत्रण के सुधारों पर और ईयू के भीतर से अवैध घुसपैठ को रोकने का ज़िम्मा उठाना चाहते हैं। वो इस बात को भी समझते हैं कि यूरोप की जनता भी यही सुधार देखना चाहती हैं।

हाल ही में, अपनी स्पेन यात्रा के दौरान, मैक्रों ने कहा कि फ्रांस खुद अपने पुलिस नियंत्रण को दोगुना कर 4,800 कर देगा। उन्होंने आगे कहा कि ‘बढ़ते आतंकवाद के खतरे’ के बीच सुरक्षा बलों की बढ़ी हुई संख्या अवैध आव्रजन से निपटने में कारगर साबित होगी।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने यह भी कहा, “मैं हमारी आम सीमा सुरक्षा के लिए शेंगेन (Schengen) की नींव को मजबूत बनाने और पुन: विचार के भी पक्ष में हूं।” मैक्रों ने जोर देकर कहा कि वह दिसंबर में यूरोपीय संघ के अगले शिखर सम्मेलन के दौरान यूरोपीय संघ के भीतर सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के बारे में एक प्रस्ताव रखेंगे जिसमें “बाहरी सीमाओं पर वास्तविक सुरक्षा बल के साथ संयुक्त सीमा पर सुरक्षा तेज करने” की मांग शामिल होगी। ईयू में मुक्त आवागमन के मानदंडों पर पुनर्विचार करने को मजबूर करने वाली फ्रांस की यह नई भाषा सभी को चेताने और भविष्य में अपनी सुरक्षा को लेकर अपनी रणनीति मजबूत करने का एक संदेश दे रही है।

गौरतलब है कि फ़्रांस में चार्ली हेबदो के कार्टून को दिखाने पर सैम्मुयल पेटी नामक एक अध्यापक की गला रेत कर निर्मम हत्या कर दी गई थी और उस घटना के ज़ख़्म फ्रांस भुला भी नहीं था कि उसके कुछ दिन बाद ही चाकू बनाने वाले एक ट्यूनीशियाई व्यक्ति ने फ़्रांस के नीस में स्थित एक चर्च में तीन लोगों को मार डाला था।  इन सभी घटनाओं ने फ्रांस के भीतर एक चिंता का माहोल बना दिया है। सीमा से जुड़े अधिनियमों को और कड़ा करने और बिना कोई रोक-टोक के मुक्त यात्रा मानदंडों को लेकर भी असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी है क्योंकि नियमों में ढिलाई ही आंतरिक सुरक्षा की स्थिति को खतरे में डाल रही है।

फिलहाल, ऐसा कोई कारण नहीं है जिससे कहा जाए कि ईयू को शेंगेन क्षेत्र के भीतर सीमा नियंत्रण बढ़ाने के लिए मैक्रों की मांग को स्वीकार नहीं करेगा। अब क्योंकि फ्रांस आतंकी हमलों से पीड़ित है और यूरोपीय संघ के भीतर से भी उसे सहानुभूति मिल रही है ऐसे में अगर फ्रांस की चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया जाता है, तो ब्रसेल्स स्थित इस संगठन को छोड़ फ़्रांस अपने रास्ते अलग कर सकता है। पहले से ही ब्रेक्सिट के कारण यूरोपीय संघ का महत्व कम हो गया है और अगर एक और देश इस संगठन को छोड़ने का फैसला करता है, तो यह अन्य यूरोपीय संघ के अस्तित्व पर ही प्राशन चिन्ह अंकित कर सकता है।

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