जानिए, कैसे लव जिहाद पर बना कानून संवैधानिक है और विपक्ष इसे चाह कर भी नहीं रोक सकता


लव जिहाद देश की मुख्य धारा का आपराधिक मुद्दा बन चुका है, बीजेपी शासित सरकारें इस पर कानून बनाने की तैयारियों को अंतिम रूप दे चुकी हैं। दूसरी ओर एक बहस छिड़ गई है कि लव जिहाद पर राज्य सरकारें जो भी कानून लाएंगी, वो पूरी तरह से असंवैधानिक होगा। इस कुतार्किक बहस को छेड़ने वाले कोई और नहीं बल्कि अपने कट्टर इस्लामिक बयानों के लिए कुख्यात लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हैं, जो खुद को लंदन से पढ़ा बैरिस्टर तो बताते हैं,लेकिन उन्हें आज तक काले कोट में किसी ने नहीं देखा है। उन्हें शायद ये पता नहीं है कि लव जिहाद का कानून पूरी तरह से संवैधानिक है और ये विवादित हो ही नहीं सकता, न ही संविधान के किसी बिंदु की अवहेलना करता है।

यूपी समेत मध्य-प्रदेश और हरियाणा समेत देश के कई बीजेपी शासित राज्यों में लव जिहाद के कानून को अंतिम रूप देकर लागू करने की बात चल रही है। इस पूरे घटनाक्रम से सबसे ज्यादा बौखलाहट एक ही व्यक्ति के मन में है, वो कोई और नहीं बल्कि देश में कट्टर इस्लामिक राजनीति के झंडाबरदार एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हैं। इनका कहना है कि लव जिहाद का कानून असंवैधानिक है। इसे बीजेपी की सरकारें एक राजनीतिक साज़िश के तहत लागू कर रही है। उन्होंने कहा, “इस तरह का कानून संविधान की धारा 14 और 21 के खिलाफ है। स्पेशल मैरिज एक्ट को तब खत्म कर दें। कानून की बात करने से पहले उन्हें संविधान को पढ़ना चाहिए। बीजेपी युवाओं का ध्यान बेरोजगारी से हटाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है।”

ओवैसी साहब को कौन समझाए कि ये लव जिहाद का प्रस्तावित कानून  असंवैधानिक नहीं है। स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत वो मामले आते हैं जब किसी भिन्न धर्म के लोगों को शादी करनी होती है। इसमें दोनों को पता होता है कि उनके धर्म क्या हैं, इसके बावजूद वो दोनों प्रेम के आधार पर सहमति से शादी करते हैं। जबकि लव जिहाद के अतंर्गत ये देखा गया है कि विशेष धर्म का लड़का बहुसंख्यक या किसी अन्य समुदाय की लड़की को बिना अपने धर्म की जानकारी दिए उसे अपने प्रेम के जाल में फंसाता है और फिर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद उसे धर्म परिवर्तन कर शादी करने के लिए मजबूर करता है। ऐसी स्थिति में ये धोखाधड़ी से शादी करने का मामला बन जाता है। इस स्थिति में लव जिहाद के कानून की आवश्यकता बढ़ जाती है।

धार्मिक धोखाधड़ी से हुई शादी की इसी प्रक्रिया के खिलाफ बीजेपी सरकारें कानून बनाने की तैयारी कर रही हैं। साथ ही ओवैसी साहब जो अपनी आंखों में कट्टरता की पट्टी बांधे हुए हैं, उन्हें ऐसा लग रहा है कि ये कदम बस मुसलमानों के खिलाफ एजेंडा चलाने के लिए उठाया जा रहा है। ओवैसी ही नहीं राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत भी यही मानते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। मध्य-प्रदेश में बनने में लव जिहाद से संबंधित कानून का ड्राफ्ट साफ कहता है कि किसी भी धर्म का व्यक्ति अगर दूसरे धर्म की लड़की से धोखाधड़ी करके शादी करता है और धर्म छिपाता है तो उस पर भी यही कानून लागू होगा, और यदि सचमुच प्रेम संबंध है तो सामान्य शादी के लिए एक महीने पहले इस बात की जानकारी प्रशासन को देनी होगी, जोकि सराहनीय कदम हैं।

केंद्र के अलावा सभी राज्य सरकारें लव जिहाद के खिलाफ अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कानून बनाने के लिए स्वतंत्र हैं और यह किसी भी कीमत पर असंवैधानिक नहीं होगा। राज्य अपने बनाए गए कानून में स्वतंत्र रूप से आवश्यक बिंदु जोड़ सकते हैं। ऐसा भी नहीं है कि लव जिहाद का कानून आने के बाद दो धर्म के लोग आपस में प्रेम या विवाह नहीं कर सकेंगे, बस उस प्रेम को एक रिश्ते में बांधने के लिए कुछ कानूनी नियमों का पालन करना होगा। जबकि इस प्रेम के नाम पर युवतियों के साथ धार्मिक धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ लव जिहाद के कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी जो कि वर्तमान में आवश्यक भी है और इसीलिए इस लव जिहाद के कानून को बनने से ओवैसी तो क्या विपक्ष का कोई भी नेता नहीं रोक सकता है।

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