अफगानिस्तान में बांध बनाकर, भारत पाकिस्तान की वाटर स्पलाई रोकने के लिए तैयार है

 


भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद कोई नया नहीं है, लेकिन अब जल्द ही इसमें अफ़गान एंगल जुडने वाला है। दरअसल, भारत और अफ़ग़ानिस्तान ने मिलकर काबुल नदी पर एक बांध बनाने का फैसला किया है, जिसने अभी से पहले पाकिस्तान की टेंशन बढ़ा दी है। इस नए बांध का नाम होगा शहतूत बांध, जो लाखों काबुल वासियों को तो बेशक बड़ी राहत पहुंचाएगा, लेकिन दक्षिण में पाकिस्तान में अभी से इसका विरोध होना शुरू गया है। पाकिस्तान पर पहले ही भीषण जल संकट का खतरा बढ़ता जा रहा है और अब भारत अफ़ग़ानिस्तान के साथ मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ जल-युद्ध छेड़ने की पूरी तैयारी कर चुका है।

अफ़ग़ानिस्तान और भारत पुराने साथी है। हाल ही में सम्पन्न हुई Geneva Conference में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के लिए 2 बिलियन से भी ज़्यादा के नए विकासवादी प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने की बात कही है। इन्हीं में शामिल है शहतूत बांध प्रोजेक्ट! इस प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान का कहना है कि इसके कारण उसके यहां नदियों के जल प्रवाह में कमी आएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यह प्रोजेक्ट काबुल नदी की एक अहम सहायक नदी पर बनाया जाना है। काबुल नदी हिंदूकुश पर्वत के संगलाख क्षेत्र से निकलती है और काबुल, सुरबी और जलालाबाद होते हुए पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा चली जाती है। यही कारण है कि पाकिस्तान को इस प्रोजेक्ट से इतना भय लग रहा है।

हमेशा भारत से जंग के लिए आतुर रहने वाला पाकिस्तान अब भारत के इस जल-युद्ध से भयभीत होता दिखाई दे रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले ही दुनियाभर की कई संस्थाएं वर्ष 2025 तक पाकिस्तान में भयंकर जल संकट का अनुमान लगा चुकी हैं। उदाहरण के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने अपनी हाल ही की एक रिपोर्ट में यह दावा किया था कि 2025 तक पाकिस्तान बूंद-बूंद के लिए तरस जाएगा और इससे देश की स्थिरता को भी गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया था कि इस दक्षिण एशियाई देश में भूमिगत जल भी तेजी से खत्म हो रहा है और सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि सरकार और पाकिस्तानी अधिकारी इस आने वाले संकट की तरफ कोई ध्यान न देकर अपने घोड़े बेचकर सो रहे हैं।

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते शुरू से ही विवादों से घिरे रहे हैं और भारत दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का शिकार होता रहा है। कश्मीर को आतंक का केंद्र बनाने में पाकिस्तान का ही सबसे बड़ा हाथ रहा है। हालांकि, अब लगता है कि भारत इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए तैयार हो चुका है। जल युद्ध के कारण पाकिस्तानी सेना के साथ-साथ पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था का Paralyze होना तय है, और इससे पाकिस्तान के आतंक-एक्सपोर्ट पर भी बड़ी रोक लग पाएगी।

पाकिस्तान अपना आतंक सिर्फ भारत में ही नहीं एक्सपोर्ट करता है, बल्कि अफ़ग़ानिस्तान भी इसके सबसे बड़े पीड़ित देशों में से एक रहा है। अब ये दोनों देश मिलकर पाकिस्तान को उसके किए गए पापों की सज़ा देने की तैयारी कर चुके हैं। भारत और अफ़ग़ानिस्तान की यह दोस्ती अफ़ग़ानिस्तान की जनता के लिए तो बेशक किसी वरदान से कम नहीं है। उदाहरण के लिए शहतूत बांध अफगानिस्तान की राजधानी के आस-पास खैराबाद और चहर असियाब में 4,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करने के अलावा, काबुल के 20 लाख से अधिक लोगों को पेयजल प्रदान करने में मदद करेगा। दूसरी ओर हर बार भारत के हित-विरोधी काम करने वाले पाकिस्तान के लिए यह किसी श्राप से कम भी नहीं है। इस बांध के जरिये भारत एक ही तीर से दो निशाने साधने का काम कर रहा है, दोस्त अफ़ग़ानिस्तान के लिए सबसे बड़ी मदद और दुश्मन पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा सरदर्द!

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