अर्णब गोस्वामी के घर के बालकनी में बैठ गाने सुनना चाहता हूं, रवीश कुमार को पोस्ट वायरल

  

अर्णब गोस्वामी के घर के बालकनी में बैठ गाने सुनना चाहता हूं, रवीश कुमार को पोस्ट वायरल

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को 14 दिन के लिये न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, बुधवार सुबह मुंबई पुलिस ने अर्णब को उनके घर से हिरासत में लिया था, पुलिसिया कार्रवाई पर तमाम केन्द्रीय मंत्रियों ने ट्वीट किये, लोगों ने पुलिस की इस कार्रवाई को पत्रकारिता पर हमला बताया।


आवास पर हंगामा
बुधवार सुबह अर्णब गोस्वामी के आवास पर जब मुंबई पुलिस टीम पहुंची, तो वहां काफी हंगामा हुआ, अर्नब अपने घर से निकलने को तैयार नहीं थे, arnab1पुलिस उन्हें ले जाने पर अड़ी थी, पत्नी और बच्चे मोबाइल से सारी घटना रिकॉर्ड कर रहे थे, इस बीच अर्णब के घर के अंदर का नजारा भी लोगों ने देखा, अर्णब को देखकर चर्चित टीवी पत्रकार रवीश कुमार हैरान रह गये, उन्होने इस बात का जिक्र अपने फेसबुक पोस्ट में किया है।
पुराना मामला क्यों खोला गया
अर्णब के मामले में रवीश ने कहा है कि मुंबई पुलिस को ये साफ करना चाहिये, कि पुराना मामला दोबारा से आखिर क्यों खोला गया है, ताकि लोगों को संतोष हो सके कि अर्णब की गिरफ्तारी कानून के दायरे में हुई है, रवीश कुमार ने कहा कि हर कोई अर्णब के साथ खड़ा है, लेकिन अर्णब ने कभी ऐसा नहीं किया। रवीश ने लिखा, कि अर्णब की पत्रकारिता रेडियो रवांडा का उदाहरण है, जिसके उद्घोषक ने भीड़ को उकसा दिया और लाखों लोग मारे गये थे, अर्णब ने कभी भीड़ की हिंसा में मारे गये लोगों का पक्ष नहीं लिया, पिछले 4 महीने से अपने न्यूज चैनल में जो वो कर रहे हैं, उस पर अदालतों की कई टिप्पणियां भी आ चुकी है, तब किसी मंत्री ने क्यों नहीं कहा कि कोर्ट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला कर रहा है।

मैं हैरान रह गया
रवीश ने अपने पोस्ट में अर्णब के घर का जिक्र करते हुए लिखा, मैं वो घर देखकर हैरान रह गया, रोज 6000 शब्द टाइप करके मैं गाजियाबाद के उस फ्लैट में रहता हूं, जिसमें कुर्सी लगाने भर के लिये बालकनी नहीं है, अर्णब का घर कितना शानदार है, मैं अर्णब के शानदार घर के विजुअल के सामने असंगठित क्षेत्र के एक मजदूर की तरह सहमा खड़ा रह गया, मैं तो बस उनके घर की खूबसूरती में समा गया, कल्पनाओं में खो गया, ड्राइंग रुम की लंबी चौड़ी शीशे की खिड़की के पार नीला समंदर बेहद सुंदर दिख रहा था, अरब सागर की हवाएं खिड़की को कितना थपथपाती होंगी, यहां तो कैदी भी कवि हो जाए।

घर का टेस्ट अच्छा है
मुझे इस बात की खुशी है कि अर्णब के दिलो दिमाग में जितना भी जहर भरा हो, घर कैसा हो, कहां हो, कैसे रहा जाए, इसका टेस्ट काफी अच्छा है, उनमें सौंदय बोध है, बिल्कुल किसी नफीस रईस की तरह जो अपनी टी-पॉट की टिकोजी भी मिर्जापुर के कारीगरों से बनवाता हो, मैं यकीन से कह सकता हूं, कि अर्णब के अंदर सुंदरता की संभावनाएं बची हुई है, लेकिन सोचिये रोज समंदर के विशाल ह्दय का दर्शन करने वाले एंकर का ह्दय कितना संकुचित और नफरतों से भरा है। अर्णब जब भी जेल से आएं, अव्वल तो पुलिस उन्हें तुरंत रिहा करे, मैं यही कहूंगा कि कुछ दिनों की छुट्टी लेकर अपने इस सुंदर घर को निहारा करें, इस सुंदर घर का लुत्फ उठाएं, सातों दिन कई-कई घंटे एंकरिंग करना श्रम की हर आवधारणा का अश्लील उदाहरण है, अगर इस घर का लुत्फ नहीं उठा सकते, तो मुझे मेहमान के रुप में आमंत्रित करें, मैं कुछ दिन वहां रहूंगा, सुबह उनके घर की कॉफी पीऊंगा।

टेस्ट बदल लें
वैसे मैं अपने घर में चाय पीता हूं, लेकिन जब आप अमीर के घर जाएं, तो अपना टेस्ट बदल लें, कुछ दिन कॉफी पर शिफ्ट हो जाएं, और हां एक चीज और कहना चाहता हूं, उनकी बॉलकनी में बैठकर अरब सागर से आती हवाओं को सलाम भेजना चाहता हूं, और बॉर्डर फिल्म का गाना फुल वॉल्यूम में सुनना चाहता हूं, ऐ जाते हुए लम्हों, जरा ठहरो, जरा ठहरो… और हां पुलिस की हर नाइंसाफी के खिलाफ हूं, चाहे लिखूं या ना लिखूं।

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