पुतिन ऐसा क्या जानते हैं जो दुनिया को नहीं पता? अब बाइडन को अमेरिकी राष्ट्रपति न मानने का कारण समझिये


अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों का फैसला अभी भी पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं हुआ है कि आखिर जीत किसे मिली है। एक तरफ विश्व के कई बड़े नेता जो बाइडन को बधाई दे चुके हैं तो कुछ अभी भी संकोच कर रहे हैं। इन सभी के बाद आते हैं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जिन्होंने पहले तो बाइडन को बधाई नहीं दी, और अब न्यायलाय का फैसले आने तक उन्हें राष्ट्रपति मनाने को भी तैयार नहीं है। अब यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि आखिर रूस और पुतिन क्यों बाइडन को अभी भी राष्ट्रपति या “President Elect” मनाने से इंकार कर रहे हैं? ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर पुतिन ऐसा क्या जानते हैं जिससे वह इस निर्णय पर पहुंचे?

दरअसल, मीडिया और न्यूज़ एजेंसियों ने तो बाइडन को राष्ट्रपति घोषित कर दिया है लेकिन राष्ट्रपति का चुनाव मीडिया नहीं करती। रिपब्लिकन्स कई स्थानों पर न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुके हैं तो अब आखिरी फैसला न्यायालय का है न कि मीडिया का।

विश्वव्यापी प्रोटोकॉल यह है कि चुनाव के बाद एक लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री को अन्य देशों द्वारा मान्यता दी जाती है। लोकतंत्र में यह मीडिया तय नहीं करता कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा। यह विधायिका और स्टेट मशीनरी का काम है कि वह जनाधार को देखते हुए राष्ट्राध्यक्ष तय करे। अगर ये निकाय ऐसा करने में विफल रहते हैं तो न्यायपालिका निर्णय करती है। यही प्रोटोकॉल अमेरिका में भी लागू होगा।

इस मुद्दे पर कल रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यह कहा कि “हम किसी के साथ भी काम करे, जिसमें अमेरिकी लोगों का विश्वास है। लेकिन यह विश्वास केवल एक उम्मीदवार को दिया जा सकता है, जिसकी जीत को विपक्षी दल द्वारा मान्यता दी गई हो, या उसके बाद परिणामों को वैध और कानूनी तरीके से घोषित किया गया हो।”

पुतिन का यह कहना भी जायज है क्योंकि देखा जाए तो बाइडन अभी भी अमेरिका के वास्तविक राष्ट्रपति नहीं हैं और इसका निर्णय अदालत करेगी। वहीं अमेरिकी विपक्षी दल के रिपब्लिकन कभी भी जो बाइडन को राष्ट्रपति के रूप में मान्यता नहीं देंगे क्योंकि सभी का यही कहना है कि चुनाव में धांधली हुई है। कई रिपोर्ट्स भी आए हैं जिसमें चुनाव के दौरान धांधली का दावा किया गया है।

अब राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित कई मामले रिपब्लिकन द्वारा अदालत में हैं, इसलिए न्यायपालिका यह तय करेगी कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा। इसलिए जो बाइडेन के लिए ‘elect’ शब्द का प्रयोग तकनीकी रूप से गलत है, और शायद इसलिए पुतिन ने स्पष्ट कहा है कि हम जो बाइडन को राष्ट्रपति नहीं मानते है।

पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए ये कह सकते हैं कि, रूस अमेरिकी चुनावों पर बहुत पैनी निगाह रख रहा है क्योंकि वह अमेरिका के कई प्रतिबंधों को झेल रहा है। अब वह नहीं चाहता कि कोई रूस विरोधी उम्मीदवार अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाए और उसके खिलाफ मोर्चा खोल दें। रूस के लिए किसी ऐसे राष्ट्रपति का होना आवश्यक है जो उस पर लगाए गए प्रतिबंधों को न बढ़ाए।

2016 के चुनावों के बाद भी रूस पर अमेरिकी चुनाव को प्रभावित या हस्तक्षेप करने के कई आरोप लगे थे। ऐसे में रूसी खुफिया एजेंसी KGB और राष्ट्रपति पुतिन निश्चित रूप से कुछ ऐसा जानते हैं, जो सार्वजनिक रूप से किसी को नहीं पता है। और इसी कारण उन्होंने बाइडेन को राष्ट्रपति मनाने से अभी इंकार कर दिया है। अमेरिकी जनता के बाद अगर किसी को ट्रम्प की राष्ट्रपति के रूप में सबसे अधिक आवश्यकता है तो वह रूस ही है। रूस का फायदा रिपब्लिकन उम्मीदवार के राष्ट्रपति बनने में है, क्योंकि वह सिर्फ रूस के साथ सम्बन्धों को सुधार अमेरिका के पास लाने की कोशिश कर रहे थे और चीन को घेरने के मुद्दे पर काम कर रहे थे। जो बाइडन को अभी राष्ट्रपति न मान कर पुतिन ने यह संदेश दे दिया है कि अभी कुछ भी हो सकता है!

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