
प्रयागराज। लव जिहाद के बढ़ते मामलों के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अपनी मन पसंद का साथी चुनने का हर किसी का मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अलग—अलग धर्म या जाति के होने से किसी को साथ रहने या फिर शादी करने से नहीं रोका जा सकता है। गौरतलब है कि लव जिहाद मामले में दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि दो बालिग की शादी में सरकार, परिवार या किसी व्यक्ति को उनके रिश्ते पर अपत्ति जताने और विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि दो बालिगों को हिन्दू—मुसलमान मानकर नहीं देखा जा सकता। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने यूपी सरकार की उस दलील भी खारिज कर दिया, जिसमें सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन को गलत बताया था।
बताते चलें कि प्रदेश के कुशीनगर के सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार उर्फ आलिया की अर्जी पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह सख्त टिप्पणी की। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि बालिग लोगों के रिश्तों में दखल देना उनके निजता के अधिकार में अतिक्रमण करने जैसा है। ज्ञात हो कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने बीते दिनों हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से दो मामलों में दिए गए फैसले से असहमति जताई। जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने आज फैसला सुनाते वक्त यह सख्त टिप्पणी की।
हाईकोर्ट ने सलामत के खिलाफ उसकी पत्नी प्रियंका के पिता की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द कर दिया है। प्रियंका ने 19 अक्टूबर, 2019 को धर्म बदलकर सलामत से निकाह कर लिया था। हालांकि यह मामला लव जिहाद से हटकर है। क्योंकि लव जिहाद की अभी तक जो व्याख्या है उसमें अब्दुल से अमर बनकर हिंदू लड़कियों की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने से जोड़ा जा रहा है। ऐसे कई मामले सामने आने के बाद प्रदेश सरकार सहित देश के अन्य राज्य भी लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
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