आंध्र प्रदेश में चर्च का बड़ा फर्जीवाड़ा, दान की संपत्ति का गबन


आंध्र प्रदेश प्रशासन एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। वर्तमान प्रशासन किस प्रकार से धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ईसाई मिशनरी द्वारा अवैध धर्मांतरण को बढ़ावा दे रहा है, ये किसी से छुपा नहीं है। परंतु जिस प्रकार से अभी एक सनसनीखेज जमीन घोटाले का मामला सामने आया है, उससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इनकी पैठ कहाँ तक हो सकती है।

द प्रिन्ट की रिपोर्ट के अनुसार दो कैनेडियाई व्यक्तियों ने आंध्र प्रदेश के एक चर्च पर उनका दान किया हुआ पैसा गायब करने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट के अंश अनुसार, “2009 में कनाडा के ब्रिटिश कोलम्बिया प्रांत के निवासी रीता एवं ग्रांट कॉर्बेट ने 15 लाख कैनेडियाई डॉलर Seventh Day Adventist (SDA) Church को दान किए थे, ताकि आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के वल्लूरू ग्राम में एक विद्यालय का निर्माण हो सके”।

तो फिर समस्या क्या है? दरअसल, सात वर्ष के बाद जब स्कूल की इमारत बनके तैयार हुई, तो मुआयना करने आए दंपति को जोरदार झटका लगा। उन्हें पता चला कि इमारत के लिए खरीदी गई जमीन में घपला हुआ है, क्योंकि वह जमीन असल में बिक्री हेतु वर्जित थी, क्योंकि राज्य सरकार ने उसे पहले ही गरीबों के आवास हेतु चिन्हित कर रखा था।

द प्रिन्ट की रिपोर्ट में आगे बताया गया, “तब से कॉर्बेट दंपति चर्च प्रशासन से लेके स्थानीय पुलिस, राज्य प्रशासन, यहाँ तक कि आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा लिया, पर परिणाम कुछ नहीं। 71 वर्षीय इस दंपति के लिए ये सिर्फ एक नैतिक मुद्दा नहीं है, वे उन लोगों के लिए भी लड़ना चाहते हैं जिनकी ज़मीनें उनसे छीनी गई, और उन लोगों को भी दबोचना है जिनके कारण यह सारा प्रकरण हुआ है।

एक आधिकारिक शिकायत के बावजूद अब तक कोई जांच पड़ताल नहीं हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने जिला कलेक्टर को इस मुद्दे की जांच करने को कहा था, पर तबसे कॉर्बेट परिवार को किसी ने नहीं बुलाया। अभी भी रीता कॉर्बेट की याचिका कोर्ट में सुनवाई की प्रतीक्षा कर रही है।”

हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब आंध्र प्रदेश प्रशासन या चर्च समूह पर घपलेबाजी का आरोप लगा हो। अब ईसाई मिशनरी की गुंडई इस हद तक बढ़ गई है कि दलितों को उनके घरों से ज़बरदस्ती निकाला जा रहा है, ताकि गिरजाघरों या चर्चों के लिए जगह बनाई जा सके।

जुलाई माह में ऑर्गनाइज़र की रिपोर्ट के अनुसार पता चला कि मिशनरी गैंग कडप्पा में असफल होने के पश्चात पूर्वी गोदावरी जिले मूलस्थानम अग्रहम ग्राम में अवैध चर्च का निर्माण कर रहे हैं। ये निर्माण एक हिन्दू बहुल इलाके में हो रहा था, जिसके लिए प्रशासन ने किसी प्रकार की अनुमति नहीं दी, लेकिन गाँव वासियों के लाख प्रदर्शन करने के बाद भी कोई उनकी नहीं सुन रहा। जब कोई रास्ता नहीं बचा, तो गांववालों को राष्ट्रीय मानवाधिकार कमीशन यानि NHRC को पत्र लिखना पड़ा। इस पत्र में उन्होंने एनएचआरसी से हस्तक्षेप करने की मांग की और आंध्र प्रदेश प्रशासन को अवैध चर्च निर्माण के विरुद्ध आवाज़ उठाने के लिए भी कहा। इस पत्र में गाँववालों ने लिखा, स्थानीय प्रशासन हमें दूसरे दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार करता है। वे हमारी अर्जी तक नहीं सुनतेऔर यदि कुछ कहोतो ऐसे बर्ताव करते हैं मानो हम किसी दूसरे देश के रिफ़्यूजी हैं।”

सच कहें तो आंध्र प्रदेश प्रशासन जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में रसातल में गिरता जा रहा है। चर्च के भ्रष्टाचार पर कोई रोक टोक नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप अब विदेशी नागरिकों के धन का भी गबन किया जा रहा है, और यदि प्रशासन समय रहते नहीं चेता तो एक दिन ऐसा भी होगा जब जंगल राज के पर्याय के तौर पर आंध्र प्रदेश का नाम लिया जाएगा।

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