ओबामा ने अपनी किताब में कांग्रेस पार्टी को निशाना बना कर मोदी और बाइडन को करीब लाना चाहते हैं

 


अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा इन दिनों फिर से सुर्खियों में है। इस बार वे अपनी पुस्तक के कुछ अंश सामने आने के बाद सुर्खियों में है, विशेषकर वो अंश जिनमें भारत और भारतीय राजनीति का उल्लेख किया गया है। लेकिन इसके पीछे एक ऐसी योजना है, जिसपर बहुत ही कम लोगों का ध्यान गया है, और जो सिद्ध करता है कि बराक ओबामा राजनीति में कितने निपुण और कितने चालाक हैं।

हाल ही में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ में बराक ओबामा ने भारत और भारतीय राजनीति से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में काफी बातें लिखी थीं, लेकिन लोगों का सबसे अधिक ध्यान गया कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, उनकी माँ सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से संबंधित ओबामा के विचारों पर।

उदाहरण के लिए राहुल गांधी के बारे में उनके विचारों के अंश जैसे ही बाहर आए, भारतीय सोशल मीडिया पर बवाल ही मच गया। अपनी पुस्तक में बराक ओबामा लिखते हैं, “राहुल गांधी उस विद्यार्थी की भांति है, जिसका व्यक्तित्व काफी असहज और अपरिपक्व सा लगता है। वह उस विद्यार्थी की भांति हैं जिसने अपना काम किया है और वह अपनी शिक्षिका को प्रसन्न करना चाहता है, परंतु वह उस विषय में पारंगत होने के लिए योग्य नहीं है, जिसके लिए वो इतनी मेहनत कर रहा है”।

इसके अलावा अभी हाल ही में मनमोहन सिंह की नियुक्ति पर भी बराक ओबामा ने अपने विचार प्रकट किए। उनके पुस्तक के अंश अनुसार, “मनमोहन सिंह को सोनिया गांधी ने निश्चित तौर पर देश की कमान संभालने के लिए चुना था, पर इसलिए नहीं कि वे एक कुशल अर्थशास्त्री थे या फिर वे काफी लोकप्रिय थे। उन्हें इसलिए चुना गया क्योंकि वे सोनिया के बेटे राहुल के लिए खतरा नहीं थे”।

लेकिन ये कदापि मत समझिएगा कि बराक ओबामा ने ऐसा यूं ही कहा है। बराक ओबामा एक कुशल राजनीतिज्ञ रहे हैं, जिनकी नीतियाँ चाहे जैसी रही हो, पर उनकी राजनीतिक सूझबूझ पर कोई संदेह नहीं कर सकता। अब ओबामा ये तो नहीं लिख सकते थे कि राहुल गांधी की कृपा से अगले ली वर्षों तक यूपीए सत्ता में नहीं आ सकती।

ऐसा इसलिए क्योंकि यदि यूपीए ने फिर कभी सत्ता ग्रहण की, तो ओबामा के इन बयानों के कारण अमेरिका और भारत के संबंधों में खटास आ सकती है। डेमोक्रेट्स के पास लगभग 16 साल तक शासन में रहने का एक सुनहरा मौका है और ओबामा ऐसा कुछ नहीं  करना चाहेंगे जिससे बना बनाया काम बिगड़े।

दरअसल, ऐसी बातों को अपनी पुस्तक में लिखकर वह पीएम मोदी से अपने संबंध प्रगाढ़ करना चाहते हैं, ताकि डेमोक्रेट पार्टी और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मित्रता बनी रहे।

इस समय अमेरिका में पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा सत्ता संभालने की संभावना ज्यादा दिखाई दे रही हैं, और अमेरिका ये कतई नहीं चाहता कि वह भारत जैसे महत्वपूर्ण साझेदार को अपने हाथ से जाने दे। ओबामा जब सत्ता में दूसरी बार आए थे, तो 2014 में भारत की जनता ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया था, और 2016 में पद त्यागने तक वे नरेंद्र मोदी के काफी घनिष्ठ सहयोगी रहे थे। ऐसे में इस पुस्तक के इन विशेष अंशों के सामने आने का अर्थ स्पष्ट है – जो मित्रता मोदी जी की ओबामा के साथ थी, अब वही जो बाइडन के साथ भी बनी रहे।

अब इससे फायदा क्या होगा? इससे फायदा यह है कि नरेंद्र मोदी एक भरोसेमंद नेता हैं, और भारत का वर्चस्व उनके नेतृत्व में बढ़ा है। आज दुनिया के कई देश भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में जुटे हैं। यदि डेमोक्रेट पार्टी ने भी अपने संबंध मोदी के नेतृत्व में भारत के साथ मजबूत किए, तो दोनों देशों को फायदा होगा।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि बराक ओबामा ने बड़ी ही चतुराई से कांग्रेस विरोधी बातों को अपने पुस्तक में समाहित किया, ताकि भारत में उनकी छवि भी बनी रहे और आगे चलकर उनकी इसी सोच का डेमोक्रेट पार्टी को फायदा भी मिलता रहे।

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