चीन जिसे सपने में भी जापानी राजदूत बनते नहीं देखना चाहता था, अब जापान ने उसे ही चीन में नियुक्त कर दिया है


जापान ने चीन को एक और झटका देते हुए प्रखर चीन विरोधी राजनयिक Hideo Tarumi को चीन में अपना राजदूत नियुक्त करने फैसले पर मुहर लगा दिया है। बता दें कि Hideo Tarumi को चीन में जापान के राजदूत के रूप में सितंबर महीने में ही नामित कर दिया गया था। अब वे गुरुवार को बीजिंग पहुंचे, तथा अपने Quarantine के बाद चीन में जापानी राजदूत के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

यह नियुक्ति कई मायनों में जापान के लिए महत्वपूर्ण है तथा उसे इस नियुक्ति से चीन पर दबाव बनाने में मदद भी मिलेगी। चीन-जापान संबंध पहले से ही पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप समूह को ले कर तथा जापानी अर्थव्यवस्था का चीनी निर्भरता कम होने कारण अपने न्यूनतम स्तर को छू रहा है। चीन अब भी लगातार आक्रामकता दिखा रहा है और अब Tarumi की नियुक्ति से जापान चीनी आक्रामकता का जवाब भी सख्ती से देने में सक्षम होगा।

35 साल के अनुभव के साथ Tarumi एक अनुभवी राजनयिक हैं, और जापानी विदेश मंत्रालय के राजनयिकों के “China School” का एक हिस्सा भी रहे हैं।

चीन में राजदूत के रूप में Tarumi की नियुक्ति से जापान के इरादें भी स्पष्ट होते हैं कि वह चीन को आसानी से ढील देने के मूड में नहीं है। Tarumi को पता है कि चीन कैसे और किस रणनीति के साथ काम करता है। उन्होंने जापानी विदेश मंत्रालय के चीन और मंगोलिया डिवीजन का नेतृत्व किया है। वास्तव में, उन्होंने 2011 से 2013 तक बीजिंग में जापान के दूतावास में मंत्री के रूप में भी काम किया था।

जापानी विदेश मंत्रालय के “China School” को चीन के साथ सम्बन्धों को बेहतर बनाने के लिए स्थापित किया था जहां राजनयिकों को चीनी भाषा में प्रशिक्षण के साथ उभरते हुए चीन और जापान के संबंधों में नए अवसरों की तलाश करने की शिक्षा दी जा सके। हालाँकि, वर्तमान संदर्भ में, चीन के बारे में Tarumi के व्यापक ज्ञान का उपयोग जापान द्वारा बीजिंग से आगे निकलने के लिए किया जाएगा।

वास्तव में, Nikkei Asia  ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि सूचना एकत्र करने के लिए Tarumi की क्षमता पर चीनी अधिकारियों की नज़र उस समय पड़ी जब वह बीजिंग में जापानी दूतावास में सेवा दे रहे थे। इसके अलावा, वह 2016 से 2018 तक जापान-ताइवान एक्सचेंज एसोसिएशन की ताइपे शाखा में भी काम कर चुके हैं।

सूचनाओं को एकत्र करने की Tarumi की क्षमता और ताइपे में उनके कार्यकाल से ताइवान के मोर्चे पर जापान चीन की परेशानी बढ़ा सकता है।

जापान के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, “Hideo Tarumi न केवल चीन में काम करने तरीकों के जानकार है, बल्कि आवश्यक होने पर कड़े कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।”

Tarumi ने पहले भी चीन की आक्रामकता का सामना किया है। जब सेनकाकू द्वीप के पास जापानी के जल क्षेत्र में जापानी तटरक्षक जहाजों के साथ एक चीनी मछली पकड़ने की नौका टकराई थी, तब भी दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। चीन, विस्तारवादी शक्ति होने के नाते वह जापान के सेनकाकू द्वीपों पर क्षेत्रीय संप्रभुता का दावा करता है और उसे Diaoyu कहता है। वर्ष 2010 के दौरान हुए इस तनाव में भी Tarumi ने सेनकाकू घटना के लिए एक राजनयिक शांति स्थापित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी।

Tarumi को चीन में राजदूत बनाने से जापान के पास सेनकाकू द्वीप विवाद पर चीन को झुकाने का एक अच्छा विकल्प भी होगा। वर्तमान में, सेनकाकू द्वीप समूह के पास चीन का लगातार आक्रामकता चीन-जापानी संबंधों में सबसे विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है। पीएम Suga के नेतृत्व में जापानी प्रशासन Tarumi के अनुभव का उपयोग कर चीन को और झटके दे सकता है।

चीन में जापान के राजदूत के रूप में Tarumi की नियुक्ति के बाद चीन खुद डर का संकेत दे रहा है। निक्केई एशिया के अनुसार, चीन नव-नियुक्त राजदूत पर कड़ी नजर रखे हुए है। अब देखना यह है कि Tarumi चीन के खिलाफ किस प्रकार के रुख को अपनाते हैं।

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