कार्तिक महा हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। इस साल महीने की शुरुआत 1 नवंबर से हो रही और 30 नवंबर तक ये महीना जारी रहेगा। इस महीने को काफी शुभ माना जाता है। इस महीने में काफी त्योहार आते है। ऐसे में कहा जाता है कि जो भी शख्स इस महीने दान-पुण्य का काम करते है। तो इसका लाभ भी उन्हें मिलता है। इसी महीने में तुलसी और शालिग्राम की विशेष पूजा होती है। जिसमें कई नियमों का पालन करना होता है। इसी तरह कार्तिक महीने में भी कई सख्त नियमों का पालन करना होता है। तो आइए आपको हम इन नियमों को बारे में बताते है।
धर्म शास्त्रों के मुताबिक, कार्तिक मास में दीपदान का काफी महत्व है। पुराणों के अनुसार, इस महीने दीपदान करने के माहतम्य के बारे में स्वयं भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को
उन्होंने नारद जी को और नारद मुनि ने महाराज पृथु को बताया है। इसलिए इस माह में किसी नदी या पोखर में दीपदान अवश्य करें।
हिंदू धर्म में तुलसी पूजा का महत्व काफी बताया गया है। तुलसी की पूजा हर घर में होती है लेकिन कार्तिक माह में तुलती पूजा का महत्व बढ़ जाता है। तुलसी जी भगवान विष्णु को काफी प्रिय थी।
इसी वजह से इस माह तुलसी की रोज पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस माह अगर तुलसी का दान किया जाए। तो काफी शुभ होता है।
कार्तिक माह में भूमि पर शयन करने के लिए नियम मुख्य माना जाता है।
भूमि पर शयन करने के मन में सात्विकता बनी रहती है। इसलिए इस माह भूमि पर ही शयन करना चाहिए।
शरीर पर तेल लगाना कार्तिक माह में वर्जित है।
इस माह में सिर्फ नरक चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाया जा सकता है इसलिए इस माह में शरीर पर तेल न लगाएं।
नियमों के अनुसार, इस महीने दलहन या दाल खाना भी वर्जित है।
इस माह में उड़द, मूंग, मसूर, मटर और राई आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
ये माह भगवान का ध्यान लगाया जाता है। इस महीने अगर व्रत या ताप किया जाए। तो शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस महीने ब्रह्मचर्य का पालन करने चाहिए। ऐसा न करने पर अशुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।
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