वर्जिनिटी टेस्ट पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी, तय होगी सजा

 

फ्रांस। विज्ञान और धर्म के बीच हमेशा आगे निकलने की होड़ बनी रहती है। विज्ञान जहां जीवन के लिए संसाधन जुटाता है, वहीं धर्म नैतिकता के साथ रास्ता बताता है। इस्लामिक अलगाववाद पर बहस के बीच विकसित और परमाणु सम्पन्न देश फ्रांस में एक बार फिर वर्जिनिटी टेस्ट कौमार्य परीक्षण पर विवाद बढ़ गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इस्लामिक अलगाववाद के खिलाफ सख्ती से खड़े हैं। वह कट्टरपंथ पर रोक लगाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि फ्रांस में शादी के लिए वर्जिनिटी सर्टिफिकेट जारी करने की जरूरत नहीं है। कुछ धार्मिक समूहों में शादी से पहले लड़कियों की कथित शुद्धता जांच करने के लिए वर्जिनिटी टेस्ट हो रहा है और इसका प्रमाणपत्र में दिया जा रहा है। बांग्लादेश आदि देशों में ऐसे परीक्षण पर रोक लगा दी गई है। ज्ञात हो कि अमेरिका में कौमार्य परीक्षण गैर-कानूनी नहीं है।

गृहमंत्री गेराल्ड डारमेनिन ने कहा है कि अलगाववाद नियंत्रित करने वाला बिल संसद में अगले महीने पेश हो सकता है। बिल में कौमार्य परीक्षण पर भी बात होगी। उन्होंने कहा कि कुछ डॉक्टर्स अब भी षादी के लिए महिलाओं का कौमार्य परीक्षण कर रह हैं। परीक्षण के प्रमाणपत्र जारी होने की सूचनाए मिल रही है। मेडिकल काउंसिल कौमार्य परीक्षण की निंदा करता है। फ्रांस कौमार्य परीक्षण पर प्रतिबंध लगायेगा। साथ ही उल्लंघन करने वालों के लिए सख्त सजा होगी। एक साल की जेल और 15,000 यूरो का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन कौमार्य परीक्षण को अवैज्ञानिक, मानवाधिकारों का उल्लंघन माना है। कौमार्य परीक्षण से गुजरने वाली महिला के लिए खतरनाक है। फ्रांस के डॉक्टरों और मुस्लिम नारीवादियों ने भी कौमार्य परीक्षण और उसका प्रमाण प़त्र जारी करने का विरोध किया है। मार्लेन सिप्पा कहा कि कौमार्य परीक्षण महिलाओं की गरिमा और उनके नागरिक अधिकारों पर के खिलाफ है।

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