अमेरिकी चुनाव में मतगणना की गिनती शुरू हुए लगभग 48 घंटे हो चुके हैं, लेकिन नतीजा अभी भी शून्य ही है क्योंकि इसकी प्रक्रिया में अनेकों झोल होने की बातें सामने आने लगी हैं। इसके चलते अभी कोई ये नहीं कह सकता कि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा। इन सब से इतर दोनों ही उम्मीदवार नतीजों को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं। ऐसा होने पर विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र के चुनावों की मतगणना हफ्तों तक का समय ले सकती है, जिससे वहां की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं। अमेरिका की इस स्थिति को देखकर भारतीय अचंभित हैं और इसके चलते लोग अब अपने देश की चुनावी प्रक्रिया पर गर्व कर रहे हैं।
अमेरिका में एक अलग ही चुनावी प्रक्रिया है देश के निर्वाचन में कुल 535 मतदाता( प्रतिनिधि सभा के 435 सदस्य, अमेरिकी सीनटे के 100 सदस्य, संघीय राजधानी कोलंबिया जिले के तीन सदस्य) हैं जो तय करते हैं कि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा। इसमें आबादी के घनत्व को भी आधार माना गया है। घनी आबादी वाले कैलिफोर्निया में 55 निर्वाचक मंडल हैं तो उसी तरह से कम आबादी वाले व्योमिंग राज्य में 3 निर्वाचक मंडल है। जब अमेरिका में जनता राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए मतदान करने के लिए जाती है, तो वो राज्यों में प्रत्येक पार्टी के नामांकित स्लेटर्स के लिए मतदान करती है, और राज्यों के ये जीते हुए प्रतिनिधि ही बाद में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए वोट करते हैं।
वर्तमान स्थिति की बात करें तो डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों के पास कई राज्यो़ं में जनसमर्थन है, लेकिन इलेक्टोरल कॉलेज उन राज्यों द्वारा तय ही होता है जो लगातार विभाजित ही रहे हैं। ये ऐसे राज्य हैं जिन पर कब्जा कर के अमेरिका में सरकार बनती है। इन राज्यों में मिशिगन, विस्कॉन्सिन, एरिज़ोना पेंसिल्वेनिया, जॉर्जिया और नॉर्थ कैरोलिना हैं इनमें से तीन बाइडेन के पास जा चुके हैं जो 2016 में ट्रंप ने जीते थे।
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