फ्रांस के बाद अब ऑस्ट्रिया ने खोला कट्टरवादी इस्लाम के खिलाफ मोर्चा

 


फ्रांस के बाद ऑस्ट्रिया में हुए आतंकी हमले का संज्ञान लेते हुए ऑस्ट्रिया सरकार ने कट्टरवाद के खिलाफ एक्शन लेते हुए राजनीतिक रूप से इस्तमाल किए जा रहे मस्जिदों को बंद करने का फैसला किया है। रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रियाई चांसलर Sebastian Kurz के नेतृत्व में सरकार ने ऑस्ट्रीया के सभी सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों की पहचान करने और पंजीकृत करने के लिए एक पहल शुरू की है, जिसका इस्तेमाल इस्लामी कट्टरपंथी राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं।

ऑस्ट्रियाई चांसलर Sebastian Kurz के मंत्रिमंडल ने उन प्रस्तावों पर सहमति व्यक्त करते हुए आतंकी अपराधों के दोषी व्यक्तियों  को जीवन भर के कारावास की सजा का भी समर्थन किया। यही नहीं अगर किसी आतंकवादी-संबंधित अपराधों के दोषी अपराधी की रिहाई होती है तो उसकी इलेक्ट्रॉनिक सर्विलान्स की जाएगी। साथ ही में धार्मिक रूप से प्रेरित कट्टरपंथ को अपराध की श्रेणी में करने का फैसला किया गया है।

Kurz ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ट्वीट किया कि, ‘हम उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए “राजनीतिक इस्लाम” को अपराध घोषित करने जा रहे हैं जो खुद आतंकवादी नहीं हैं, लेकिन उनके लिए ब्रीडिंग ग्राउंड बनाते हैं।’

ऑस्ट्रिया ने उन सभी मस्जिदों को बंद करने का आदेश देने का फैसला किया है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। बता दें कि सोमवार को वियना में छह अलग-अलग स्थानों पर भीषण गोलीबारी हुई थी। आतंकियों ने सड़कों पर लोगों को निशाना बनाया जिसके बाद  हमलों में 4 लोगों की मौत हो गई जबकि 13 लोग घायल हो गए थे।

ऑस्ट्रियाई पुलिस ने सोमवार को ही 60 से अधिक पतों पर छापा मारा, जो कथित रूप से कट्टरपंथी इस्लामवादियों से जुड़े थे, 30 संदिग्धों से पूछताछ के आदेश भी दिए गए थे।

हमले के बाद Kurz ने कहा था कि, “यह ईसाई और मुसलमानों के बीच, या ऑस्ट्रियाई और प्रवासियों के बीच का संघर्ष नहीं है। यह उन लोगों के बीच संघर्ष है जो शांति में विश्वास करते हैं, और जो युद्ध के मौके की तलाशते में रहते हैं। यह सभ्यता और बर्बरता के बीच संघर्ष है।”

Foreign Policy की रिपोर्ट के अनुसार हाल के वर्षों में ऑस्ट्रिया के अंदर कट्टरपंथ का स्तर कई गुना बढ़ गया है । ऑस्ट्रिया को छोड़ इस्लामिक स्टेट में शामिल होने वाले लोगों की संख्या यूरोप के अन्य देशों के मुक़ाबले सबसे अधिक है। समय के साथ, सिर्फ प्रवासी ही नहीं बल्कि बाल्कन देशों और चेचन्या से आने वाले आतंकवादी ऑस्ट्रिया में फैल चुके हैं।

ऐसा लगता है कि ऑस्ट्रिया कट्टरपंथियों को काबू में करने के लिए फ्रांस की राह पर चल पड़ा है। इसी तरह जब फ्रांस में एक कट्टरपंथी ने सैमुयल पैटी का गला काट दिया था तब राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने इस्लामिक कट्टरपंथ को जिम्मेदार बताते हुए कई कदम उठाए थे तथा इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हत्याओं को पश्चिमी मूल्यों पर हमले का दोषी ठहराया था। मैक्रों की तरह, ऑस्ट्रिया के चांसलर Kurz ने भी आप्रवास के जोखिमों और इस्लामी चरमपंथ के खतरों के खिलाफ चेतावनी दी है।

अगर पिछले कुछ वर्षों को देखा जाए तो Kurz ने मैक्रों से भी पहले इस्लामिक कट्टरपंथ की ओर विश्व का ध्यान केंद्रित किया था। पिछले वर्ष ही अपने गठबंधन की फ्रीडम पार्टी के साथ मिल कर  इस्लामिस्टों के खिलाफ कार्रवाई की थी।

जुलाई में ही ऑस्ट्रिया के गृहमंत्री ने “राजनीतिक इस्लाम” के कार्यों का निरीक्षण करने और निगरानी करने के लिए एक नया कार्यालय खोला था। यही नहीं उदाहरण के लिए, वर्ष 2015 में, ऑस्ट्रिया ने Kurz के नेतृत्व में इस्लामगेट्ज़, 1912 के कानून में महत्वपूर्ण संशोधन पारित किया जो ऑस्ट्रियाई राज्य और मुस्लिम समुदाय के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है।

तब सरकार ने ऑस्ट्रिया में इमामों की नियुक्ति के मानदंडों के लिए नए नियम बनाए थे और इस्लामी संस्थानों के विदेशी धन प्राप्त करने पर रोक लगा दी थी। Kurz के नेतृत्व में, ऑस्ट्रिया ने मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रतीकों पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पेश किया, कई चरमपंथी मस्जिदों को बंद करने और विभिन्न इमामों को निष्कासित करने के लिए प्रक्रियाएं शुरू कीं, और “राजनीतिक इस्लाम” पर नजर रखने के लिए एक स्थायी Observatory बना दिया था।

अब यूरोप के दो प्रमुख नेता मैक्रों और Kurz इस्लामवाद के लोकतांत्रिक जीवन, एकीकरण, और देश के सामाजिक सामंजस्य के लिए एक खतरनाक खतरे के रूप में दिख रहे हैं और एक्शन ले रहे हैं। यही नहीं दोनों नेताओं ने इस्लामी नेटवर्क से आने वाले विदेशी धन और शिक्षा प्रणाली में इस्लामिस्टों के प्रभाव के बारे में चिंताओं को जाहिर किया है। अब देखना यह है कि इस अभियान में और कौन से यूरोपीय देश साथ आते हैं।

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