भारतीयों ने किया चीनी सामान का बहिष्कार, तो चीन ने मुखपत्र के जरिए निकाली खीज

 


विस्तारवादी नीति के प्रणेता पड़ोसी देश चीन पर ये कहावत बिलकुल सटीक बैठती है कि जब कोई चीज न मिले तो बोल दो “अंगूर खट्टे हैं।” चीन अब भारत के दिवाली बहिष्कार पर भी कुछ इसी तरह की नीति अपना कर ये जता रहा है कि असल में दिवाली में चीनी लाइटों का बहिष्कार करके भारतीय अपनी दिवाली ही फीकी कर लेंगे। इसके साथ ही वो भारत के देसी दीयों का भी मजाक उड़ा रहा है। उसका ये रुख बताता है कि असल में भारत के दिवाली पर चीनी सामान के बहिष्कार से चीन को कितना ज्यादा फर्क पड़ा है और इसीलिए वो इस तरह का प्रौपेगेंडा चला रहा है।

चीनी प्रौपेगेंडा चलाने में माहिर उसका मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स अब दिवाली पर भी जहर उगलने से बाज नहीं आ रहा है। दिवाली को लेकर एक लेख में उसकी तरफ से कहा गया कि भारत में इस बार चीनी उत्पादों को लेकर जो विरोधी हवा चल रही हैं, वो बेहद ही छोटी सोच है। चीनी मुखपत्र का कहना है कि चीन की कंपनियों की जितनी कमाई दिवाली के दौरान होती हैं, उससे कहीं ज्यादा तो कमाई तो क्रिसमस पर हो जाती है। इसलिए भारत एक फेक बायकॉट एजेंडा चला रहा है।

चीन ने भारतीयों की लाइफस्टाइल को काफी गरीब बताया है जिसके चलते वो लोग चीनी उत्पादों को न खरीदने की बात कर रहे हैं। चीनी मुखपत्र इस बायकॉट को असल में भारतीयों गरीब सोच बता रहा है। इसका कहना है कि भारत के लोगों को ही इस बायकॉट का नुकसान होगा और उनकी दिवाली बेहद ही फीकी रह जाएगी, साथ ही उनके घरों में अंधेरा ही रहेगा।

चीन भारतीयों के इस चीन विरोधी एजेंडे को भारत के लिए ही एक खतरा बता रहा है, और भारत के घरेलू गोबर व मिट्टी के दीयों को बेकार और निम्न स्तरीय बता रहा है। चीन भारतीयों के खिलाफ एजेंडा चलाकर ये साबित करना चाहता है कि उसे या उसकी कंपनियों को इस तरह के किसी भी बहिष्कार से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है और उसे इससे किसी भी तरह का कोई भी बड़ा आर्थिक नुकसान नहीं होगा, लेकिन चीन जिस हकीकत को छिपाना चाहता है, वो भारतीय अच्छी तरह से जानते हैं। भारतीय जानते हैं कि उनके इस बहिष्कार से चीन की हालत असल में कितनी ज्यादा पतली हो चुकी है।

हम आपको अपनी रिपोर्ट में बता चुके हैं कि भारत में चीन से चल रहे विवाद के कारण इस बार चीनी उत्पादों का दिवाली में बहिष्कार किया जा रहा है। ऐसे में चीन को एक बड़ा झटका लगा है। भारतीयों का कहना है कि इस बार वो अपने यहां केवल भारत में बनी लाइटों और उत्पादों का ही दिवाली पर प्रयोग करेंगे। भारतीय ने तो यहां तक कसम खा ली है कि वो मिट्टी के दीए जला लेंगे लेकिन चीन द्वारा निर्मित सामान किसी भी कीमत पर नहीं खरीदेंगे।

चीन को इस बहिष्कार से एक बड़ी आर्थिक चोट लगी है। चाइनीज ऐप्स के बैन से लेकर देश देश में चीनी कंपनियों के सभी कॉन्ट्रैक्ट रद्द हो रहे हैं। वहीं भारतीय जनता अब चाइनीज स्मार्टफोन को छोड़ अब अन्य देशों के फोन खरीदने पर जोर दे रही हैं। साथ ही स्वदेशी कंपनियों को आगे बढ़ाने के लिए एजेंडा चला रही है, जिससे चीन को काफी आर्थिक नुकसान हो चुका है।

दिवाली में चीन की सबसे ज्यादा कमाई होती थी, लेकिन इस बार भारतीयों ने इसके खिलाफ भी खुलकर विरोधी एजेंडा चला दिया है जो कि चीन के लिए एक मुसीबत बन गया है और उसे करीब 8,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। इसलिए चीन इसको लेकर विरोध तो नहीं कर सकता लेकिन अब वो इस मामले में भारत का नुकसान दिखा एजेंडा चला रहा है जो दिखाता है कि वो जब बिजनेस में सफलता नहीं पा सका तो उसके लिए अंगूर खट्टे हो गए हैं।

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