अहोई अष्टमी पर बन रहे बेहद शुभ संयोग, जानिए कब है पूजा मुहू्र्त और व्रत विधि

 

Ahoi Ashtmi

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का त्यौहार होता है। इस साल यह व्रत 8 नवंबर दिन रविवार को रखा जाएगा। इस व्रत के दिन रवि पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है। महिलाएं यह व्रत अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए रखती हैं। यह व्रत करवा चौथ के व्रत कि भांति ही होता है, करवा चौथ का व्रत पति के लिए रखा जाता है मगर अहोई अष्टमी का व्रत संतान की सुख समृद्धि के लिए निर्जला उपवास रखती है।

इस उपवास में सई माता और सेई की भी पूजा की जाती है। इस दिन माताएं चांदी की माला भी अपने गले में धारण करती हैं, जिसमें हर साल दो चांदी के मोती जोड़ा जाता हैं। इस व्रत में बहुत से नियम होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस व्रत में व्रती महिला चाकू का इस्तेमाल नहीं कर सकती मतलब की वो कोई सब्जी तक नहीं काट सकती हैं। इस दिन सुई का भी प्रयोग नहीं किया जाता है। साथ ही इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं औऱ फिर शाम को अहोई माता की पूजा कर तारों को करवों से अर्घ्य देती हैं।

कब है पूजा का मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 08 नवंबर को सुबह 07 बजकर 29 मिनट
अष्टमी तिथि समाप्त: 09 नवंबर को सुबह 06 बजकर 50 मिनट पर
पूजा का मुहूर्त: 5 बजकर 37 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट के बीच।

पूजा विधि
सबसे पहले दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बना लें। फिर रोली, चावल और दूध से पूजन करें। इसके बाद माताएं अहोई अष्टमी कथा को सुनती हैं। अहोई माता को किसी मिठाई का भोग लगाया जाता है। बाद में रात में तारे को अर्घ्य देकर संतान की लंबी उम्र की कामना करती है उसके बाद ही अन्न ग्रहण करती हैं। इस व्रत में घर की बुजुर्ग महिला को उपहार में कपड़े आदि दिए जाते हैं।

(नोट- इस आलेख में दी गई जानकारियों पर Bollyycorn यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य हैं। इन्हें अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)

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