बच्चों की पढ़ाई को लेकर माता पिता आज कल काफी परेशान रहते हैं, पढ़ाई और करियर को लेकर प्रतियोगिता का स्तर काफी बढ़ गया है। हर माता-पिता यही सोचते हैं कि उनका बच्चा अच्छे से पढ़ाई करे लेकिन कई बार देखने को मिलता है कि बच्चे पढ़ाई में रूचि नहीं लेते हैं। अक्सर देखा गया है कि बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, वो पढ़ने जरूर बैठते हैं लेकिन एकाग्र होकर पढ़ाई कर नहीं पाते हैं। यही वजह की आज के दौर में माता-पिता का मानसिक तनाव काफी ज्यादा बढ़ा रहता है। वहीं वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए स्टडी रूम को व्यवस्थित रखना चाहिए। अक्सर स्टडी रूम में वास्तु दोष होने की वजह से पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता है।
स्टूडेंट्स को कभी बीम के नीचे बैठकर पढ़ाई नहीं करनी चाहिए, वास्तु के अनुसार, बीम के नीचे बैठकर पढ़ाई करने से ध्यान केंद्रित नहीं होता है। अगर रूम में बीम बना ही हुआ है तो उसमे एक बांसुरी लटका दें। इससे उस स्थान पर वास्तु दोष का असर कम हो जायेगा।
बच्चों का स्टडी रूम उत्तर दिशा, पूर्व दिशा या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में ही बनवाना चाहिए। वहीं किताबों को स्टडी रूम पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
जिस टेबल पर बच्चे पढ़ाई करते हैं उस पर ग्लोब या तांबे का पिरामिड रखना शुभ माना जाता है। इससे बच्चों का मन पढ़ाई में लगता है।
स्टडी रूम में बुद्धि के देवता भगवान गणेश या फिर ज्ञान की देवी सरस्वती की तस्वीर लगाएं। अगर बच्चा अपने ही बैडरूम में स्टडी करता है तो उसे पढ़ाई करते वक़्त पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
बच्चो को कभी भी स्टडी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके नहीं करनी चाहिए। इससे उनमे अनुशासनहीनता आती है। रूम में पीने के पानी और घड़ी को पूर्व दिशा या उत्तर दिशा में रखना या लगनी चाहिए। वहीं उन बच्चों के रूम में माता-पिता को मोर पंख लगा देना चाहिए, जिनका मन पढ़ाई में ठीक से नहीं लगता है।
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