कांग्रेस की राज्य सरकारें लव जिहाद के खिलाफ नहीं उतरीं तो वो हिंदू वोर्टस से हाथ धो बैठेंगे

 


किसी ने ठीक ही कहा है, आप सोते हुए व्यक्ति को जगा सकते हैं, पर सोने का नाटक करने वाले व्यक्ति को नहीं। इस समय कांग्रेस पार्टी का ठीक यही हाल है, क्योंकि वह देश में लव जिहाद, यानि छल से लड़कियों का प्रेम के नाम पर अवैध धर्मांतरण की समस्या को स्वीकारना ही नहीं चाहती है। अब जब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में इसके विरुद्ध कड़े कानून लाने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है, तो कांग्रेस को इसमें भाजपा की साजिश दिखाई दे रही है, जो आगे चलकर कांग्रेस के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होने वाली है।

हाल ही में राजस्थान के अशोक गहलोत ने लव जिहाद की समस्या का उपहास उड़ाते हुए ट्वीट किया, “लव जिहाद भाजपा द्वारा निर्मित एक ऐसा शब्द, जो इस देश को बाँटता है और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ता है। विवाह निजी स्वतंत्रता की बात है, और इस पर रोक लगाने वाला कोई भी कानून स्वीकार नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि यह असंवैधानिक है। प्रेम में जिहाद का कोई स्थान नहीं”।

लेकिन गहलोत यहीं पर नहीं रुके। जनाब कहते हैं, “ये लोग [भाजपा] ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं, जहां वयस्क लोग सरकार के रहमोकरम पर रहें। विवाह एक निजी निर्णय है, जिस पर अंकुश लगा वे निजी स्वतंत्रता का हनन कर रहे हैं”।

अब इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस को तानाशाही से कुछ विशेष प्रेम है, तभी तो वे बार-बार इसका उल्लेख करते रहते हैं। लेकिन अशोक गहलोत की जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारें लव जिहाद के विरुद्ध जो कानून ला रही है, वो अंतर-जातीय विवाह या अंतर-धार्मिक विवाह के विरुद्ध नहीं, बल्कि प्रेम के नाम पर यौन शोषण करने वाले, और विवाह कर कन्या का अवैध धर्मांतरण कराने वाले लोगों पर नकेल कसने के लिए है।

गहलोत बाबू ने जो इस अधिनियम की संवैधानिकता पर सवाल उठाए हैं, तो उनकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले पर विवाह को अवैध करार देते हुए कहा था कि केवल विवाह के उद्देश्य से कराया गया धर्म परिवर्तन स्वीकार्य नहीं है, और ऐसा विवाह, विवाह तो कतई नहीं हो सकता।

लव जिहाद एक वास्तविक समस्या है, भाजपा के आईटी सेल की उपज नहीं। जब 2015 में तारा शाहदेव ने अपनी व्यथा सुनाई थी, तब पहली बार इस समस्या पर प्रकाश डाला गया था। यह यूके के ‘ग्रूमिंग गैंग’ से अधिक भिन्न नहीं है, जहां गैर-मुस्लिम लड़कियों, विशेषकर हिन्दू और सिख लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर पहले उनका यौन शोषण किया जाता था और फिर उन्हे मानव तस्करी में धकेला जाता। इसमें अधिकांश अपराधी पाकिस्तानी मूल के मुसलमान ही होते थे, और  प्रारंभ में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के कारण यूके प्रशासन इसे सामने नहीं आने देना चाहता था। लेकिन जब स्थिति विकट हो गई, तो यूके को भी इस विषय पर धीरे-धीरे ही सही, पर कार्रवाई करनी पड़ी।

अब भारत में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही है, और ये समस्या केवल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश इत्यादि जैसे राज्यों में नहीं है। वामपंथियों के लिए स्वर्ग माने जाने वाले केरल में भी इस समस्या ने एक वीभत्स रूप धारण कर लिया है, जिसके विरुद्ध ईसाइयों तक ने आवाज उठाई है। जनवरी में Kerala Catholics Bishop Council के डिप्टी जनरल ने Indian express को दिये बयान में राज्य की ‘सेक्युलर’ पार्टियों पर धावा बोलते हुए कहा कि “इन्हें यह स्वीकारना होगा कि लव जिहाद एक सच्चाई है।” Council ने साथ में यह भी कहा कि ईसाई लड़कियों को फंसाकर ISIS के जाल में धकेला जा रहा है। Council के अधिकारी ने अपने बयान में कहा “समाज में एक तरह के लोग लगातार कट्टर होते जा रहे हैं, और उनके अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से संबंध हैं। केरल की सेक्युलर पार्टियां इसे मानने को ही तैयार नहीं हैं। लगातार घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं लेकिन मुख्यधारा की कोई पार्टी इसे मानती ही नहीं है।”

ऐसे में यदि अशोक गहलोत लव जिहाद को भाजपा के दिमाग की उपज मानते हैं, तो वे जानबूझकर अपनी आँखें इस विकट समस्या के प्रति मूँद रहे हैं। लेकिन हम भूल रहे हैं कि ये वही अशोक गहलोत हैं, जिनकी पार्टी की कृपया से आज भी राजस्थान में अनेक गैर मुसलमान लड़कियों का यौन शोषण करने वाले अजमेर दुष्कर्म कांड के दोषी खुलेआम घूम रहे हैं। कांग्रेस को लव जिहाद का सत्य स्वीकारना ही होगा, अन्यथा वो दिन भी दूर नहीं होगा जब वह हिंदुओं का समर्थन हमेशा के लिए खो देगी और उसके अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।

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