मोदी ने जिस इस्लामिक आतंकवाद को दुनिया के सामने उठाया था, आज उसे ही मैक्रों धार दे रहे हैं

 


दक्षिण अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने एक गांव के 50 लोगों का सिर कलम कर दिया। इस पर एक बार फिर से फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ आवाज को तेज़ करते हुए कहा है कि इस्लामिक आतंकवाद से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरा है। आज के दौर में मैक्रों को इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सबसे प्रखर नेता माना जा रहा है परंतु बता दें कि जो बात भारत के पीएम नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल के पहले वर्ष से ही कहते आ रहे हैं, मैक्रों भी उसी बात को ज़ोर-शोर से दोहरा रहे हैं।

पीएम मोदी ने 2014 में ही विश्व को इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ विश्व को सावधान कर दिया था। उस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सभा को संबोधित करते हुए यह कहा था कि पश्चिम एशिया में “कट्टरवाद और फ़ाल्टलाइन बढ़ रहे हैं, और हमारा अपना क्षेत्र भी आतंकवाद के विनाशकारी खतरे का सामना कर रहा है।” उन्होंने अपने सम्बोधन में आगे कहा था कि विश्व के देश आंतरिक राजनीति, आपसी भेदभाव, तथा अच्छे और बुरे आतंकवादियों के बीच भेद कर आतंकवाद के खतरे को नजरंदाज कर रहे हैं।

तब पीएम मोदी ने स्पष्ट कहा था कि कुछ देश अपने क्षेत्र में आतंकियों को पनाह लेने की अनुमति देते हैं या आतंकवाद को अपनी विदेश नीति के उपकरणों के रूप में उपयोग करते हैं।” यह इशारा किसी और के तरफ नहीं बल्कि पाकिस्तान की ओर ही था। यही नहीं पीएम मोदी ने “इस्लामिक स्टेट” के खिलाफ सभी देशों को एकजुट होने और Comprehensive Convention on Global Terrorism का आह्वान भी किया था।

यह विश्व के लिए एक ऐसा संदेश था, जिसकी कीमत यूरोप को आज समझ आ रहा है।  जहां लगातार कट्टरवाद बढ़ रहा है और आतंकी हमले चरम पर है। कभी जनता पर चाकू से हमला हो रहा है तो कभी सर कलम कर दिया जा रहा है।

सिर्फ 2014 ही नहीं बल्कि साल दर साल, मोदी सरकार ने आतंकवाद पर अपना ध्यान केन्द्रित किया और इसे भारत के सामने सबसे बड़ा खतरा बताया। न केवल भारत ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ में बार-बार उठाया बल्कि वर्ष 2017 में तो तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से ‘मानव जाति के लिए आतंकवाद को अस्तित्ववादी खतरे के रूप में स्वीकार करने का आग्रह भी किया।“

पीएम मोदी ने आतंकवाद को लगभग सभी द्विपक्षीय या बहुपक्षीय बैठकों के संयुक्त बयान में शामिल कराया। 2019 में हुए ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अपनी यात्रा के दौरान भी पीएम मोदी ने आतंकवाद-रोधी सहयोग को अपने सदस्यों के बीच चर्चा और पारस्परिक हितों के मुख्य स्तंभों में से एक के रूप में रखा था।

वर्ष 2019 में जापान में हुए  जी -20 शिखर सम्मेलन में, जहां अन्य नेताओं ने अन्य मुद्दों पर भाषण दिया, वहीं पीएम मोदी ने बताया, “आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।“

आज फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों भी इसी आतंकवाद से निपटने के लिए आह्वान कर रहे हैं और विश्व को साथ आने को कह रहे हैं। फ्रांस में एक शिक्षक की हत्या के बाद से कट्टरवाद के खिलाफ एक मुहिम छिड़ गई है, जिसका नेतृत्व स्वयं राष्ट्रपति मैक्रों कर रहे हैं। मैक्रों ने इस भयावह घटना को “इस्लामी आतंकवादी हमला” कह कर संबोधित किया था और कहा कि पूरा देश तैयार है, अब इस तरह की विचारधारा नहीं जीतेगी। उन्होंने कहा है कि ‘फ्रांस में कट्टरवादी मुस्लिम लगातार समानांतर समाज बना रहे हैं और यही लोग देश में इस्लामिक आतंकवाद फैला रहे हैं। कट्टरवाद के लगातार बढ़ते मामले साबित करते हैं कि वो अभिव्यक्ति की आजादी का हनन कर रहे हैं और विकसित समाज को पीछे ले जाकर नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं।“

अब इसी से अंदाजा लगा लेना चाहिए कि किस तरह से पीएम मोदी के दिये गए चेतावनी को अब मैक्रों बढ़ा रहे हैं। क्योंकि फ्रांस संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्यों में से एक है तो हो सकता है कि अब विश्व इस्लामिक आतंकवाद के खतरे को समझे और उसके खिलाफ खुल कर सामने आए।

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