पश्चिम बंगाल के आदिवासी क्षेत्र में अमित शाह ने भरी हुंकार, ममता बनर्जी की बढ़ी टेंशन


पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सत्ता के लिए बीजेपी नेता और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह मुसीबत का सबब बन गए हैं। बीजेपी जैसे-जैसे बंगाल में अपना किला मजबूत कर रही है वैसे-वैसे ममता के जाने के दिन नजदीक आ रहे हैं। अमित शाह ने हाल के बंगाल दौरे में ममता से नाराज आदिवासियों पर भी अपनी सहानुभूति का हाथ रख दिया है और इस दौरान एक घर में खाना खाकर उन्होंने आदिवासियों के लिए ऐसा संदेश दिया है जिससे ममता को एक और झटका लगना लाजमी हो गया है।

बंगाल के दो दिवसीय दौरे के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने न केवल अपने कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश दिए, बल्कि कई संदेश देने की कोशिश की है। एक तरफ शाह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमलावार हैं, तो दूसरी ओर वो बीजेपी का जनाधार बढ़ाने में भी मदद कर रहे हैं। वो पश्चिम बंगाल की जनता से बार-बार यही बोलते नजर आए कि ममता सरकार को खत्म करिए इससे इतर वो अब राज्य में मोदी सरकार द्वारा लाई गई योजनाओं को भी प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं जो कि बंगाल सरकार द्बारा लागू भी नहीं की गईं हैं।

अमित शाह ने अब बंगाल में अपने दौरे के दौरान आदिवासियों का बड़ा चेहरा रहे बिरसा मुंडा के मूर्ति का शिलान्यास किया। बिरसा मुंडा को पश्चिम बंगाल में भगवान की तरह पूजा जाता है, जिन्होंने भारत की अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। अमित शाह ने बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद बांकुड़ा में एक आदिवासी कार्यकर्ता के घर जाकर खाना खाया और ऐसा करके उन्होंने पश्चिम बंगाल के वंचित समाज को साथ लेकर चलने का संदेश दिया। बंगाल में पिछले काफी वक्त से आदिवासियों के साथ काफी दुर्व्यवहार किया किया गया है। ऐसे में अमित शाह ने उनके कल्याण की बात कही और पश्चिम बंगाल के लोगों से ममता सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कही।

बता दें कि आदिवासी क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा था। टीएमसी के आंतरिक सर्वे में भी ये बात निकलकर सामने आई थी कि टीएमसी को जंगलमहल और नॉर्थ बंगाल में ‘गरीब लोगों के वोट’ नहीं मिले थे और इस इलाके में आदिवासियों की संख्या ज्‍यादा हैं। पश्चिमी और उत्‍तर बंगाल में आदिवासियों ने बीजेपी के समर्थन में जमकर वोट किया था। SC के लिए सुरक्षित 10 में से केवल 4 सीटें ही TMC जीत सकी थी। लोकसभा चुनाव के परिणाम से ही स्पष्ट हो गया था कि वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता को बीजेपी के रूप में एक सशक्‍त विपक्ष का सामना करना पड़ेगा। अब ऐसा होता दिखाई भी दे रहा है।

पश्चिम बंगाल में ममता के किले पर अब बीजेपी द्वारा ऐसी चढ़ाई की गई कि ममता के लिए इस चक्रव्यूह से बाहर निकल 2021 के लिए विधानसभा चुनाव जीत पाना बेहद ही मुश्किल हो गया है। एक दशक पहले जो बीजेपी राज्य की राजनीति में हाशिए पर थी वो अब नंबर दो की पार्टी बन गई है जिसके चलते हाल-फिलहाल में बंगाल में राजनीतिक हिंसा फिर बढ़ गई है जिससे बीजेपी अब मुखरता से निपट रही है।

बीजेपी की तैयारियों से इतर ममता भी चुनावी तैयारियों में तो लगी हैं लेकिन वो तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं। ममता ने शरणार्थियों को बिना किसी दस्तावेज जमीन का हक देने की बात कर दी हैं। अमित शाह ने शरणार्थियों और घुसपैठियों में अंतर बताकर जिस तरह से हुंकार भरी है उससे ममता का सिंहासन डोल गया है। वहीं, आदिवासियों का साथ पाकर बंगाल की राजनीति में बीजेपी की साख और अधिक बढ़ गई है और ये ममता के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है।

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