जानिए दिवाली के अगले दिन इस टिपिकल इंडियन फूड को खाने के क्या हैं कारण

 

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दीपावली के ठीक अगले दिन ही गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। ये भी हिंदू धर्म के बड़े त्यौहार में से एक है, असल में इस दिन घरों में गाय की पूजा की जाती है। इसके साथ ही भगवान को कढ़ी चावल का भोग भी लगाया जाता है। आपको बता दें कि गोवर्धन पूजा के दिन कढ़ी-चावल खाने का महत्व हैं। आअज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों इस दिन कढ़ी चावल खाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में जब इंद्रा चारों तरफ जल ही जल कर दिया था तब श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। उसी समय श्रीकृष्ण ने गौवंश और प्रकृति के महत्व के बारे में बताया था। इसी कारण गोवर्धन पूजा पर दूध, दही और छाछ का एक अलग ही महत्व है। यही वजह है कि कढ़ी चावल का भगवान को भोग लगाया जाता है।

बता दें कि कढ़ी चावल स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। यही कारण है कि गोवर्धन पूजा के दिन कढ़ी चावल का भोग लगाकर अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए पूरा परिवार कढ़ी चावल का सेवन करता है। ज्ञात हो कि कढ़ी छाछ से बनाई जाती है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होती है। कढ़ी हल्के भोजन की श्रेणी में आता है। आपको बता दें कि कढ़ी में प्रोटीन, कैल्शियम और फॉस्फोरस अधिक मात्रा में पाया जाता है।

इस दिन लोहे की कढ़ाई से कढ़ी बनाई जाती है। जिसके कारण इसमें भरपूर मात्रा में आयरन भी मिल जाता है। कढ़ी में एंटीइंफ्लामेट्री गुण होते हैं, जो कई रोगों को जड़ से समाप्त करने में सहायक होता है। ये शरीर में अंदरूनी सूजन को भी कम करने का काम करती है। कढ़ी खाने से पेट के कई रोग भी दूर हो जाते हैं। खास बात ये है कि ये मुंह के छालों के लिए भी रामबाण दवा का काम करती है। कढ़ी चावल खाने से पाचन तंत्र भी सही रहता है। कढ़ी में भरपूर मात्रा में स्टार्च होता है, जो कई रोगों से बचने में मदद करता है। इसके साथ ही इसको आंतों के लिए भी काफी लाभदायक बताया गया है।

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