हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता है। उसी प्रकार सोमवार (Monday) का दिन भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है। पुराणों में बताया गया है कि जो भी सोमवार को भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करता है उसके सारे कष्ट (Pains) मिट जाते हैं। माना जाता है कि भगवान शिव को खुश करने के लिए सोमवार को सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ कपडे धारण करके भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मन से भोले भगवान की पूजा करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान शिव एक नाम स्वयंभू है जिसका मतलब होता है कि अजन्मा। कहा जाता है वह ना आदि हैं और ना अंत। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि उनके जन्म से जुड़े रहस्य के बारे में-
भगवान शिव स्वयंभू है जिसका अर्थ है कि उन्होंने किसी मानव शरीर से जन्म नहीं लिया है। कहा जाता है कि जब कुछ भी नहीं था तो भगवान शिव थे और सब कुछ नष्ट हो जाने के बाद भी उनका अस्तित्व बना रहेगा। उनको आदिदेव भी कहा जाता है जिसका अर्थ है सबसे पुराने देव से है। भगवान शिव के जन्म के संबंध में एक कहानी काफी प्रचलित है। एक बार जब भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच बहस हो गई। दोनों स्वयं को सबसे श्रेष्ठ बता रहे थे। तभी एक रहस्यमयी खम्भा दिखाई दिया। भगवान ब्रह्मा और विष्णु को एक आवाज सुनाई दी और उन्हें एक-दूसरे से मुकाबला करने की चुनौती दी गई। उनसे कहा गया कि खंभे का पहला और आखिरी छोर धुंध करके दिखाए।
ब्रह्मा जी ने एक पक्षी का रूप धारण करके खंभे के ऊपरी हिस्से की खोज करने निकल पड़े। तो वही भगवान विष्णु ने वराह का रूप धारण किया और खंभे के आखिरी छोर को तलाशने के लिए निकल पड़े। दोनों ने खूब कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। जब दोनों ने हार मान ली तब उन्हें भगवान शिव इंतजार करते हुए मिले। उस समय उन्हें ये पता चला कि ब्रह्माण्ड को एक सर्वोच्च शक्ति चला रही है जो भगवान शिव ही हैं। आप सोच रहे होंगे कि यहां खम्भे का क्या अर्थ है तो इसका मतलब है कि ये खम्भा भगवान शिव के कभी न खत्म होने वाले स्वरूप को दर्शाता है। भगवान शिव के 11 अवतार माने जाते हैं।
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