लव जिहाद और गौ-कैबिनेट पर फैसला ले, हिंदुत्व इस बार की मध्यप्रदेश सरकार का मुख्य एजेंडा

 


मध्य-प्रदेश में अब कुछ नए बदलाव होने लगे है। यहां की शिवराज सरकार अब वो फैसले लेने लगी है जिसके लिए उसे आम तौर पर नहीं जाना जाता और ये फैसले सरकार के दोबारा बहुमत हासिल करने के तुरंत बाद ही लिए गए हैं। पहले लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाने की बात करना और फिर गौवंश संरक्षण के लिए गौ-केबिनेट के गठन का ऐलान, इसका उदाहरण है कि अब शिवराज ने हिंदुत्व को आगे बढ़ाने की ठान ली है, जिससे वो पहले बचते थे।

लव जिहाद

मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ऐलान कर दिया कि अब शिवराज सरकार में लव जिहाद के खिलाफ कानून आएगा। ये कानून अगले ही विधानसभा सत्र में आएगा। इस कानून के तहत किसी भी महिला को यदि कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति धमकाकर या प्रेम जाल में फंसाकर शादी करता है या उसे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करता है तो फिर उस शख्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। खास बात ये भी है कि इस कानून के तहत आरोपी को 5 साल की सख्त सजा होगी, और ये एक ऐसा अपराध घोषित होगा जिसमें आरोपी को जमानत नहीं मिल सकेगी। गौरतलब है कि लव जिहाद के खिलाफ़ एमपी में कानून की बात उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार के ऐलान के बाद ही की गई है।

गौ-कैबिनेट

गौ-रक्षा के नाम पर आए दिन कोई न कोई विवाद होता रहता है जिसमें बीजेपी को निशाने पर लिया जाता है लेकिन अब मध्य प्रदेश सरकार ने गौ-वंश के संरक्षण के लिए गौ-कैबिनेट बनाने का एलान कर दिया है। इसके अंतर्गत 6 विभाग होंगे। इस कैबिनेट की पहली बैठक गोपाष्टमी के मौके पर होगी। इस गौ-कैबिनेट में 6 विभाग शामिल हैं। गोवंश के संरक्षण को लेकर सभी विभाग सामूहिक रूप से इसका फैसला लेंगे। पशुपालन विभाग ही गायों के प्रजनन और गौशालाओं की देखभाल करती है। वहीं साथ ही वन विभाग भी गायों के संरक्षण का काम करेगी, इसके साथ गृह विभाग रक्षा का काम करेगी जिसके तहत गायों की तस्करी पर भी कड़ी नजर रखी जाएगी।

हिंदुत्व से बचते थे शिवराज

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश को हिंदुत्व के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन अभी तक शिवराज की छवि हिंदुत्व के प्रचारक की नहीं थी। शिवराज को एक नरमपंथी नेता माना जाता था जो इफ्तार पार्टी में टोपी भी पहनते थे और अल्पसंख्यकों के लिए भी कई सकारात्मक निर्णय ले चुके थे। शिवराज बैलेंस बनाकर चलते रहे हैं, जिससे उनकी छवि एक सर्वसम्मति वाले नेता की बने, लेकिन उन्हें और उनकी पार्टी को इसका नुकसान ही हुआ है।

छवि बदलने की कोशिश

शिवराज अपनी छवि को लेकर सतर्क थे लेकिन उनके इन कदमों का नुक़सान बीजेपी को हुआ। सवर्णों का मोह धीरे-धीरे शिवराज से भंग होने लगा और नतीजा ये हुआ कि बीजेपी को 2018 विधानसभा चुनाव में हार का मुंह तक देखना पड़ सकता था। शिवराज को एहसास हो गया था कि अब सवर्ण उनसे नाराज हैं। ऐसे में कांग्रेस सरकार टूटने के बाद शिवराज ने अपनी अल्पमत की सरकार में तो हिन्दुत्व से जुडा़ कोई निर्णय नहीं लिया लेकिन बहुमत हासिल करते ही अपनी छवि को नजरंदाज कर वो निर्णय लेने शुरू किए जो बीजेपी के कोर एजेंडे में शामिल हैं।

शिवराज अब अपनी छवि से इतर पार्टी के बारे में सोचने लगे हैं। इसी के चलते शिवराज सरकार अब लव जिहाद और गौ-कैबिनेट का मुद्दा उठाकर ये साबित करने में जुट गई है कि वो अब मध्य प्रदेश में सुस्त पड़ चुके हिंदुत्व के एजेंडे को नई धार देने को तैयार है जिससे उसके कोर वोटरों की नाराज़गी खत्म हो सके।

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