पीएम मोदी, ट्रम्प और पुतिन तीनों से नवंबर में जिनपिंग का सामना होगा, शी की तो क्लास लगने वाली है


किसी ने सही ही कहा है, मुसीबत और डैन्ड्रफ नाम और पता पूछके नहीं आती। जब आती है, तो शामत लाती हैं, और कुछ ऐसा ही हाल अभी चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग का होने वाला है, क्योंकि आने वाले कुछ हफ्तों में एक के बाद एक बैठक में शी जिनपिंग का सामना न केवल अमेरिका से, बल्कि भारत और रूस से भी होगा।

सूत्रों के अनुसार चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग का सामना तीन वर्चुअल समिट में भारत, रूस और अमेरिका से  होगा, जिनमें जिनपिंग और पीएम मोदी समेत अन्य नेता समिट में आमने सामने होंगे। जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, “10 नवंबर को शंघाई कोऑपरेशन संगठन [SCO] के राष्ट्राध्यक्ष सम्मेलन में मोदी और जिनपिंग आमने सामने होंगे, फिर 17 नवंबर को BRICS के सम्मिट में दोनों आमने सामने होंगे, और फिर 21 से 22 नवंबर को होने वाले जी 20 समिट में दोनों आमने सामने होंगे”।

वुहान वायरस की महामारी और भारत चीन के बीच भारत तिब्बत बॉर्डर पर उत्पन्न तनातनी के पश्चात ये पहली बार होगा जब दोनों देशों के प्रमुख आमने सामने होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय पूर्णतया आक्रामक मोड में है, जबकि शी जिनपिंग इस समय अनेक मोर्चों पर बैकफुट पर हैं। एक तो अमेरिका से निरंतर ट्रेड वॉर के चलते चीन की आर्थिक हालत बहुत खराब है, ऊपर से वुहान वायरस के आड़ में उसके साम्राज्यवादी इरादों के जगजाहिर होने से भारत से लेकर ताइवान तक, लगभग पूरा एशिया पेसिफिक क्षेत्र में उसके विरुद्ध मोर्चा संभाल चुका है।

अब जब दोनों देश आमने सामने होंगे, तो LAC के मुद्दे पर चर्चा होने की भी पूरी संभावना है, जिनमें चीन के लिए अपने पक्ष का बचाव करना बहुत ही मुश्किल लग रहा है। वर्चुअल समिट में शी जिनपिंग को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सामना करना पड़ेगा जिससे उनके लिए स्थिति असहज होगी, क्योंकि चीन पहले की तरह ताकतवर नहीं और न ही पहले जैसा आत्मविश्वास इस देश में बचा है। वहीं, भारत का न केवल दुनियाभर में कद बढ़ा है बल्कि चीन के हमले का भारत ने माकूल जवाब दिया है।

लेकिन चीन की समस्या यहीं तक सीमित नहीं है। भारत के अलावा जिस देश के राष्ट्राध्यक्ष से आमना सामना करने में चीन घबरा रहा है, वह है रूस, जिसका सामना चीन से SCO के राष्ट्राध्यक्ष सम्मेलन और BRICS के सम्मिट में होना तय है। लेकिन भला रूस को चीन से क्या समस्या है? दरअसल, चीन से रूस को वही समस्या है जो भारत को चीन से है – साम्राज्यवाद।

इन दिनों चीन की साम्राज्यवादी नीतियों ने सभी हदें पार कर दी हैं। दक्षिण चीन सागर और LAC पर उसके हास्यास्पद दावों से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। लेकिन हद तो तब हो गई, जब चीन रूस के व्लादिवोस्टॉक शहर पर ही दावा ठोकने लगा। इतना ही नहीं, चीन ने रूस के आर्कटिक क्षेत्र के खनिज पदार्थों से सम्पन्न क्षेत्रों सहित मध्य एशिया में भी BRI के जरिए सेंध लगानी शुरू कर दी, और रूस भला अपने वर्चस्व वाले क्षेत्रों में किसी और देश का हस्तक्षेप क्यों बर्दाश्त करता? चूंकि रूस और भारत का दुश्मन एक ही है, इसीलिए इन दोनों देश के बीच का वार्तालाप देखना काफी दिलचस्प होगा।

लेकिन जिस समिट पर सबकी नजर टिकी हुई है, वह है जी 20 समिट, जहां चीन का सामना केवल भारत और रूस से ही नहीं, बल्कि अमेरिका से भी होगा। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि इस सम्मिट में अमेरिका के नए राष्ट्रपति शिरकत करेंगे। अब राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम क्या होंगे भगवान ही जाने, लेकिन यदि डोनाल्ड ट्रम्प पुनः राष्ट्रपति के तौर पर चुने गए, तो जी 20 समिट चीन के लिए किसी वर्चुअल कब्रगाह में जाने से कम खतरनाक नहीं होगा। ऐसे में ये नवंबर शी जिनपिंग के लिए किसी बुरे दौर से कम नहीं होगा, क्योंकि रूस, भारत और अमेरिका जैसे देशों का उसे सामना करना होगा जो चीन की गुंडई से आक्रामक मोड में हैं।

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