जानें घर के लिए क्यों जरूरी है पीतल के बर्तन, खूबियां जानकार होगी हैरानी

 

हले के समय में जब डॉक्टर नहीं थे तो देश में इतनी बीमारियां भी नहीं थीं। समय के हिसाब से हमारा खानपान बदला तो खाने का तरीका भी बदल गया है। एक समय था जब हमारे घरों में तांबे व पीतल के बर्तन हुआ करते थे, लेकिन उस उनकी जगह स्टील व फाइबर के बने बर्तनों ने ले लिया है। पीतल के बर्तनों के उपयोग से जहां कई बीमारियां हमसे दूर रहती थीं वहीं फाइबर व स्टल के बर्तनों के उपयोग से आज हम कई बीमारियों के शिकंजे में हैं। वैसे तो पीतल का बर्तन घर में रखना आज भी शुभ माना जाता है। सेहत के नजरिए से देखें तो पीतल के बर्तनों में बने भोजन स्वादिष्ट तो होता ही है साथ ही आपको आरोग्य और शरीर को तेजी देता है। अन्य बर्तनों के मुकाबले पीतल का बर्तन जल्दी गर्म होता है जिससे गैस आदि की बचत होती है। वहीं पीतल के बर्तन अन्य धातुओं के बर्तन की अपेक्षा ज्यादा मजबूत होते हैं। पीतल के बर्तन में रखा जल काफी ऊर्जा प्रदान करने में सहायक होता है।

पीतल या ब्रास एक मिश्रित धातु है। तांबा और जस्ता धातुओं के मिश्रण से पीतल का निर्माण किया जाता है। पीतल, पीत शब्द से बना है। संस्कृत में पीत का मतलब पीला होता है और धार्मिक दृष्टि से पीला रंग भगवान विष्णु को आकर्षित करता है। इसीलिए हिंदू धर्म में पूजा-पाठ व धार्मिक कर्म के लिए पीतल के बने बर्तनों का ही उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद में पीतल के पात्रों को भगवान धन्वं‍तरि का काफी प्रिय बताया गया है। महाभारत में वर्णित एक वृत्तांत के मुताबिक सूर्यदेव ने द्रौपदी को वरदान स्वरूप पीतल का अक्षय पात्र दिया था। इसकी खासियत थी कि द्रौपदी जब तक चाहे जितने लोगों को भोजन करा दें, खाना कम नहीं पड़ता था।

ज्योतिष व धार्मिक शास्त्रों में भी पीतल के पात्रों का महत्व बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि सुवर्ण व पीतल की ही भांति पीला रंग देवगुरु बृहस्पति को आकर्षित करता है और ज्योतिष सिद्धांत के मुताबिक पीतल पर देवगुरु बृहस्पति का आधिपत्य होता है। बृहस्पति ग्रह की शांति के लिए पीतल का उपयोग किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रह शांति व ज्योतिष अनुष्ठानों में पीतल के बर्तन का ही दान किया जाता है।

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