अरबों रुपये का देते हैं दान, फिर भी मुकेश अंबानी के बेटे को भिखारी कहते थे दोस्त, जानें वजह


रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) फोर्ब्स की सूची में सबसे अमीर अरबपतियों की लिस्ट में ऊपर-नीचे होते रहते हैं. मुकेश अंबानी ना सिर्फ अपनी दौलत के लिए बल्कि अपनी दरियादिली के लिए भी जाने जाते हैं. कोरोना काल में जब अधिकतर लोग आर्थिक तंगी से परेशान थे उस वक्त मुकेश अंबानी ने 458 करोड़ रुपये का दान किया और कई लोगों को खाना भी खिलाया. मुकेश अंबानी अक्सर ही जरूरतमंद लोगों की मदद और देश की आर्थिक मदद करते नजर आते हैं लेकिन ये जानकर हर किसी को हैरानी होगी कि, एक समय था जब मुकेश-नीता अंबानी के बेटे को स्कूल में बच्चे भिखारी कहते थे.

अंबानी है या भिखारी
एक इंटरव्यू में खुद नीता अंबानी से बताया था कि, जब उनका छोटा बेटा अनंत अंबानी स्कूल जाता था उस वक्त उसके दोस्त ये कहकर चिढ़ाते थे कि, तू अंबानी है या भिखारी.इस इंटरव्यू में नीता ने भिखारी कहने की वजह भी बताई थी और पूरा माजरा बताया था.

5 रुपये देती थी
नीता अंबानी ने इंटरव्यू में बताया कि, जब मेरे बच्चे छोटे थे तो मैं स्कूल कैंटीन में खर्च के हर शुक्रवार 5 रुपये देती थी. इसी बीच एक दिन छोटा बेटा अनंत बेडरुम में आकर बोला कि, उसे 5 नहीं बल्कि 10 रुपये चाहिए. इस पर मैंने उससे वजह पूछी तो उसने बताया कि,स्कूल में दोस्त मेरे पास 5 का सिक्का देखकर हंसते हैं और कहते हैं कि अंबानी है या भिखारी. अनंत के मुंह से ऐसी बात सुन ना सिर्फ नीता बल्कि पिता मुकेश अंबानी भी जोर से हंसने लगे.

अमीर होने का अहसास जरूरी नहीं
नीता ने बताया कि, मैंने और पति मुकेश ने छोटे से ही बच्चों को आसमान में उड़ने की नहीं बल्कि जमीन से जुड़े रहने की सीख दी है. तीनों बच्चों को अमीर होने का अहसास नहीं दिलाया और ना ही ये अहसास होना जरूरी है. क्योंकि बच्चों के जेहन में इस बात को फिट करना जरूरी है कि अगर अमीर हैं तो इसके लिए पैसे मेहनत से कमाने पड़ते हैं. इस दौरान नीता ने बताया कि, जब उनकी बेटी ईशा अंबानी पढ़ने के लिए अमेरिका गई थी तब वो वहां डॉरमेट्री में रहती थी.

जिसमें दूसरी लड़कियां भी रहती थीं. ईशा को सिर्फ रूम ही नहीं बल्कि वॉशरुम भी बाकी लड़कियों के साथ शेयर करती थीं. साथ ही जब बच्चों की छुट्टियां होती थीं तो वह उन्हें लेने के लिए प्राइवेट जेट नहीं बल्कि एयर इंडिया की फ्लाइट से ट्रैवल करने की नसीहत देती थी.नीता का मानना है कि, सुख-सुविधाओं बच्चों को तभी देनी चाहिए जब उन्हें जमीन से जुड़े रहने का अहसास हो जाए और वह हर किसी परिस्थिति में खुद को ढाल सके. नीता की यही खूबी उन्हें बाकी अमीरों से अलग बनाती हैं.

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