भारत और चीन के बीच रिश्तों के कैसे सुरत-ए-हाल हैं। यह बात तो किसी से छुपी नहीं है। उधऱ, किस तरह से भारत ने चीन के खिलाफ अपने सख्त रूख का परिचय देते हुए एक के बाद एक कदम बढाया है। यह तो सभी जानते हैं, मगर अब इस फेहरिस्त में भारत के साथ अमेरिका का भी नाम जुड़ गया है। जी हां.. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, चूंकि अमेरिका भी लगातार ऐसे फैसले ले रहा है, जिससे ड्रैगन को एक के बाद एक झटका लग रहा है। बताते चले कि कोरोना काल में भारत में आईटी विभाग की तरफ से जमकर निवेश देखनेे को मिला है। इसमें अमेरिका का भी बड़ा योगदान रहा है।
अब इसी कड़ी में अमेरिका ने चीन से अपने ऐपल कंपनी की 9 यूनिट को भारत में शिफ्ट कर दिया है। इनमें कंपोनेंट बनाने वाली यूनिट्स भी शामिल हैं। इस बात की जानकारी किसी और ने नहीं बल्कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर ने प्रसाद ने दी है। उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग वर्ल्ड वैकल्पिक डेस्टिनेशंस की तलाश कर रहा है। मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में तेजी लाने के प्रयासों में शानदार सफलता को देखते हुए हम प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) का बड़ा आइडिया लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि सैमसंग, फॉक्सकॉन, राइजिंग स्टार, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन पीएलआई स्कीम के तहत एप्लिकेशन फाइल कर रहे हैं।
उधर, पीएम मोदी ने भी इस संदर्भ में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना के इस दौर में तकनीक ने अपनी ताकत को दिखाया है। बहुत सारे अनिवार्य काम अगर आसान हुए हैं तो इसका पूरा श्रेय तकनीक को जाना चाहिए। लॉकडाउन में कोरोना संक्रमण को कम करने के लिए अधिकांश लोग अपने कार्यक्षेत्र से दूर रहते हुए काम करते रहे। यह सब अगर संभव हो पाया तो सिर्फ और सिर्फ तकनीक की वजह से संभव हो पाया।
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