दिसंबर में हो सकता है नीतीश कैबिनेट का विस्तार, मंत्री बन सकते हैं ये चेहरे!

 

दिसंबर में हो सकता है नीतीश कैबिनेट का विस्तार, मंत्री बन सकते हैं ये चेहरे!

बिहार की नई नवेली नीतीश सरकार के कैबिनेट का बहुत जल्द विस्तार हो सकता है, ऐसी चर्चा जोरों पर है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तर में किसी मुस्लिम को मंत्री पद मिलेगा या नहीं ये लाख टके का सवाल है, सवाल की वजह भी है, इस बार एनडीए की ओर से एक भी मुस्लिम विधायक जीतकर नहीं आया है, बीजेपी ने जहां एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था, तो वहीं जदयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी जीतकर सदन नहीं पहुंचा, इस वजह से नीतीश कैबिनेट के पहले विस्तार में किसी भी मुस्लिम को जगह नहीं मिल पाई, नीतीश के पिछले मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के तौर पर खुर्शीद आलम मंत्री थी, लेकिन इस बार वो चुनाव हार गये।

दिसंबर में विस्तार
अब जब फिर से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा है, और बताया जा रहा है कि दिसंबर में कभी भी कैबिनेट का विस्तार हो सकता है, इसमें किसी मुस्लिम को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है, आपको बता दें कि जदयू में इस समय 5 मुस्लिम एमएलसी हैं, गुलाम रसूल बलियावी, राजद से जदयू में आये कमरे आलम, गुलाम गौस, तनवीर अख्त और खालिद अनवर। चर्चा है कि इन्हीं पांचों में से किसी एक को नीतीश मंत्री पद दे सकते हैं, लेकिन एक चर्चा ये भी है कि बसपा के एक मात्र विधायक जमा खान को भी मंत्री बनाया जा सकता है।

बसपा विधायक को ‘प्रलोभन’
सूत्रों का दावा है कि जमा खान की मुलाकात नीतीश कुमार से भी हो चुकी है, जमा खान को मंत्री बनाने का आश्वासन भी मिला है, लेकिन शर्त ये भी है कि पहले जमा खान जदयू में शामिल हो जाएंग, जमा अपने लिये कोई अच्छा मंत्री पद मांग रहे हैं, सूत्र बताते हैं कि उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनने का ऑफर मिल रहा है, लेकिन वो मलाईदार विभाग मांग रहे हैं, सूत्र ने कहा कि उनकी बात जदयू हाईकमान से चल रही है।

जदयू के लिये झटका
जदयू के लिये ये चुनाव बहुत बड़ा झटका लेकर आया है, सीटों की संख्या तो कम हो ही गई, उम्मीद के अनुसार मुस्लिम वोट भी नहीं मिला, सियासी जानकार कहते हैं कि इसके बावजूद नीतीश किसी मुस्लिम को मंत्री बनाकर अल्पसंख्यक वोटरों में संदेश देने की कोशिश कर सकते हैं। सियासी हलकों में ये भी चर्चा है कि राजद के वरिष्ठ नेता और बड़े मुस्लिम चेहरे अब्दुल बारी सिद्दीकी पर भी जदयू हाईकमान की नजर है, जो इस बार चुनाव हार गये हैं, बताया जाता है कि सिद्दीकी अपना हार के लिये राजद के ही कुछ नेताओं को जिम्मेदार बता रहे हैं, abdul bari siddiquiलेकिन सिद्दीकी राजद छोड़ सकते हैं, इस सवाल पर फिलहाल वो कुछ नहीं बोल रहे, जदयू के सूत्र बताते हैं कि जदयू लगातार इस कोशिश में है, कि सिद्दीकी जदयू में आ जाए, फिर एमएलसी बनाकर उन्हें मंत्री पद दिया जा सकता है। ताकि इससे ना सिर्फ राजद को झटका दिया जाए, बल्कि बड़े मुस्लिम चेहरे को भी अपने खेमे में लाया जाए।

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