अब जिनपिंग की सीधी टक्कर योगी से है, निवेश के लिए उत्तर प्रदेश बना विदेशी निवेशकों की पहली पसंद

 


इन दिनों चीन और उसके राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग दोनों की ही हालत बहुत खराब है। वुहान वायरस के कारण दोनों की छवि अब रसातल में है, और कोई भी देश अब चीन में निवेश करने से पहले सौ बार सोच रहा है। इस बात का फायदा सबसे ज्यादा भारत, जापान जैसे देशों को मिल रहा है, लेकिन उससे भी ज्यादा यदि इन समीकरणों से किसी को फायदा हुआ है, तो वह भारत के सबसे अहम राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश को हुआ है।

अगर उत्तर प्रदेश के वर्तमान समीकरणों को देखा जाए, तो यह कहना गलत नहीं होता कि आर्थिक तौर पर चीन से भिड़ने के लिए केवल उत्तर प्रदेश ही काफी है। ऐसा हम नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश में निरंतर हो रहे विदेशी निवेश और उससे देश की अर्थव्यवस्था को हो रहे फायदे के आधार पर कह रहे हैं। इन दिनों उत्तर प्रदेश दुनियाभर में निवेश के लिए सबसे आकर्षक डेस्टिनेशन बनता जा रहा है, जिससे स्पष्ट कहा जा सकता है कि चीन को हुए आर्थिक नुकसान का सर्वाधिक फायदा उत्तर प्रदेश को मिला है।

इसके बारे में मीडिया से बातचीत के दौरान इन्फ्रस्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट आयुक्त आलोक टंडन ने बताया, “अब तक 10 देशों, जिनमें यूनाइटेड स्टेटस, यूनाइटेड किंगडम, जापान, कनाडा, जर्मनी एवं दक्षिण कोरिया शामिल है, उत्तर प्रदेश में निवेश करने हेतु आवेदन दे चुके हैं। इनके निवेश से करीब 45000 करोड़ रुपये से अधिक की आय होगी, और ये करीब उत्तर प्रदेश में 1 लाख 35 हजार के करीब नौकरियों का मार्ग प्रशस्त करेगी।”

लेकिन उत्तर प्रदेश दुनिया भर के निवेशकों की पहली पसंद क्यों बन रहा है? इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं – राज्य का कायाकल्प एवं वुहान वायरस के दौरान योगी आदित्यनाथ द्वारा किए गए अद्भुत सुधार। उदाहरण के लिए जब वुहान वायरस अपने चरम पर था, तब योगी आदित्यनाथ ने सभी को चौंकाते हुए श्रम सुधार कानून के उन अधिनियमों को निरस्त कर दिया, जिनसे निवेशकों को दिक्कत होती, और जिनके कारण ट्रेड यूनियन के नाम पर गुंडई और हड़तालों को बढ़ावा मिलता था। अपनी तरह का यह पहला ऐसा निर्णय था जो किसी राज्य सरकार ने भारत में लिया हो।

परंतु योगी आदित्यनाथ यहीं पर नहीं रुके। पिछले सात से आठ महीनों में जिस प्रकार से उन्होंने ताबड़तोड़ सुधार किए हैं, उससे हर विदेशी कंपनी जो भारत में निवेश करने को इच्छुक है, उत्तर प्रदेश को अपनी प्राथमिकताओं में सर्वोपरि अवश्य रखती है। इसकी ओर इशारा करते हुए आलोक टंडन ने बताया, “पिछले छह महीनों में 326 प्लॉट औद्योगिक परियोजनाओं के लिए आवंटित किए गए हैं, जिनका मूल्य करीब 6700 करोड़ रुपये हैं। इससे दुनिया भर के निवेशकों की रुचि उत्तर प्रदेश में बढ़ी है।”

इसके अलावा योगी आदित्यनाथ कई क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा दे रहे हैं, चाहे वह खिलौने हो, फिल्म उद्योग हो, या फिर कुटीर उद्योग ही क्यों न हो। इन सबसे चीन कितना चिढ़ा हुआ है, इसके लक्षण मई में ही दिखना शुरू हो गए थे। तब चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक विशेष लेख में उत्तर प्रदेश में बढ़ते निवेश पर प्रकाश डाला था, जिसमें उसकी कुंठा स्पष्ट दिखाई दे रही थी।

लेख के अनुसार, “ भारत का उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश China से बाहर जा रही कंपनियों को लुभाने के लिए कई बड़े कदम उठा रहा है। लेकिन जब तक चीन वित्तीय संकट का सामना कर रहा हैतब तक भारत के लिए दुनिया की नई फ़ैक्टरी बन पाना नामुमकिम होगा” –

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि जो चीन ने खोया है, वो UP ने पाया है। जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश निवेशकों के लिए और आत्मनिर्भर भारत के अभियान के लिए एक अहम मिसाल बनता जा रहा है, उससे एक बात स्पष्ट होती है – चीन, भारत से निपटने की बात छोड़ो, पहले उत्तर प्रदेश से ही आर्थिक मोर्चे पर निपट लो, फिर सोचेंगे।

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