वांग यी ने यूरोप के बाद अब जापान में भी करवाई चीन की बेइज्जती

 


इस समय चीन के विदेश मंत्री वांग यी पर एक ही कहावत चरितार्थ होती है “चौबे जी चले छब्बे जी बनने दूबे जी बनके लौटे”। इन दिनों जहां भी वे जाते हैं, चीन की नाक कटवा के ही लौटते हैं। यूरोप और दक्षिण पूर्वी एशिया के बेहद असफल दौरों से भी जब इनका मन नहीं भरा, तो महोदय पहुँच गए जापान।

मंगलवार को वांग यी ने टोक्यो का दौरा किया, जिससे चीन को काफी उम्मीदें थी। चीनी प्रशासन को ऐसा लगा मानो इस दौरे से वांग न केवल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जापान दौरे को सुनिश्चित कर पाएंगे, अपितु चीन का कूटनीतिक कद भी बढ़ा पाएंगे। लेकिन जिनपिंग का जापान दौरा सुनिश्चित कराना तो दूर की बात, उलटे जापान ने ही वांग यी की कूटनीतिक धुलाई कर दी।

एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जापानी विदेश मंत्री मोटेगी तोशिमित्सु ने वांग यी को चीन की साम्राज्यवादी नीतियों के लिए आड़े हाथों भी लिया और साथ ही साथ सेंकाकु द्वीप समूह के लिए चीनी गुंडई की ओर भी ध्यान खींचा। जापानी विदेश मंत्री ने इसके अलावा चीन को इस विषय पर एक सकारात्मक रुख अपनाने की भी सलाह दी।

परंतु यह सेंकाकू  द्वीप समूह का मुद्दा आखिर है क्या? दरअसल सेंकाकु द्वीप समूह पूर्वी चीन सागर में एक द्वीप समूह है, जिसे जापान ने एक निजी उद्योगपति से खरीद लिया था। परंतु चीन आज भी इस द्वीप समूह पर अपना दावा ठोंकता आया है और इसे Diaoyu द्वीप समूह का दर्जा भी देता है। इसके अलावा चीन ने समय-समय पर अपने जहाज इस क्षेत्र में भेज जापान को डराने धमकाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।

इसीलिए जापान ने वांग यी के दौरे से चीन को एक स्पष्ट संदेश भेजा है – सेंकाकू द्वीप समूह के बारे में सोचना नहीं। मुख्य कैबिनेट सचिव काटसुनोबू काटो के अनुसार, “स्थिति बहुत गंभीर है, और मैंने उनसे [वांग] अपनी चिंताओं और सेंककु द्वीप के निकट चीनी प्रशासन की गतिविधियों के बारे में बात की है। उन्होंने ये भी कहा कि चीन ने अब तक 306 बार सेंकाकु द्वीप समूह पर धावा बोलने का प्रयास किया है। इसके अलावा उन्होंने हाँग काँग पर चीन द्वारा थोपे जा रहे दमनकारी कानूनों को लेकर भी अपनी चिंता जताई है।”

वांग यी टोक्यो को मनाने के लिए पहुंचे थे, और वह किसी भी प्रकार से चीन को टोक्यो के नेतृत्व वाले Comprehensive and Progressive Trans-Pacific Partnership Agreement (CPTPP) का हिस्सा बनाना चाहते थे, परंतु ऐसा लगता है मानो जापान उसकी एक दलील सुनने को तैयार नहीं है।

अब चीनी विदेशी मंत्री के पास अब अपनी इज्जत बचाने के अलावा कोई और उपाय नहीं बचा था।  चीनी विदेश मंत्री बार-बार चीन की अखंडता की रक्षा की बात दोहराते रहे, परंतु इतना स्पष्ट हो चुका है की जापान ने इस बार चीन को रंगे हाथों पकड़ा है, और वह चाहकर भी जापान का कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

जहां वांग यी एक तरफ शांति का पाठ कर रहे हैं, तो वहीं चीनी नौसेना निरंतर जापानी क्षेत्र में घुसपैठ करते पकड़ी जा रही है। वांग यी की स्थिति ऐसी है की वे जहां भी जाते हैं, चीन की भदद पिटवा कर आते हैं। पहले यूरोप में उन्होंने चीन की सार्वजनिक बेइज्जती कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और अब यही शुभ काम वह जापान में भी सुनिश्चित करा रहे हैं।

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