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स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) अपनी सुरीली आवाज के कारण करोड़ों लोगों के दिलों में बसती हैं. लता मंगेशकर ने हजारों हिंदी फिल्मों में और करीब 36 क्षेत्रीय भाषाओं में गाने गाए हैं. कई ऐसे गाने हैं जो आज भी दिल को सुकून देते हैं. लता ने अपनी सुरीली आवाज का जादू ऐसा बिखेरा कि वह सिर्फ देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपने गानों के लिए जानी जाती हैं. 1940 से लेकर 1970 के दशक तक आशा भोसले, शमशाद बेगम, उषा मंगेशकर, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, मुकेश, मन्ना दे, हेमंत कुमार और महेंद्र कपूर संग डुएट गाए. लता को दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड और भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. यूं तो लता दीदी अपने गानों की वजह से खूब फेमस हुई हैं लेकिन आज हम आपको उनके जीवन से जुड़े एक ऐसे किस्से के बारे में बताएंगे जिसने सबको हिलाकर रख दिया था.
रिकॉर्डिंग से पहले बिगड़ी तबीयत
बात है साल 1962 की. जब लता दीदी को फिल्म ‘बीस साल बाद’ के लिए एक गाना रिकॉर्ड था और म्यूजिक डायरेक्टर हेमंत कुमार ने तैयारी भी कर ली थी. लेकिन रिकॉर्डिंग से चंद घंटों पहले अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई.सुबह उनके पेट में काफी तेज दर्द उठा और उल्टियां शुरू हो गई. हालात को देखते हुए फौरन डॉक्टर को बुलाया गया और उनका चेकअप कराया गया.
तीन दिनों तक मौत से जूझीं
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की हालत इस कदर खराब थीं कि वह हिल भी नहीं पा रही थी. डॉक्टर ने उनकी पूरी जांच की और एक्स-रे किया. दर्द काफी तेज था इसलिए इंजेक्शन दिया गया जिससे आराम मिल सके. मगर लता दीदी तीन दिनों तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रही. करीब 10 दिनोंके बाद लता दीदी की सेहत में सुधार देखने को मिला. इसके बाद डॉक्टर ने खुलासा किया कि, लता मंगेशकर जी के खाने में स्लो पॉइजन (slow poison) यानी धीमा जहर मिलाया गया था और इसी कारण उनका शरीर काफी कमजोर हो गया था. इस धीमे जहर के कारण लता दीदी 3 महीने तक बिस्तर से उठ नहीं पाई थी.
कुक हुआ गायब
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की जब तबीयत बिगड़ी तब पता चला कि, उनका कुक जो खाना बनाने का काम करता था वो अचानक गायब हो गया था. हालांकि, कुक इंडस्ट्री से कई लोगों के घर काम कर चुका था. लेकिन अचानक से उसका गायब होना और डॉक्टर का धीमे जहर का खुलासा करना. हर किसी के लिए हैरान करने वाला था. इन सारी चीजों के बाद लता की बहन उषा मंगेशकर ने अपनी बहन के लिए खाना बनाने का फैसला लिया औरइस पूरे घटनाक्रम में राइटर मजरूह सुल्तानपुरी ने पूरा साथ दिया. वह हर दिन शाम 6 बजे लता दीदी के घर जाते और खाना चखते. इसके बाद लता दीदी को खाना दिया जाता. वह लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का मन बहलाने और खुश रखने के लिए घंटों उनके पास बैठकर बातें किया करते थे और
कहानी-कविताएं सुनाते थे. मगर लता दीदी के साथ हुए इस हादसे ने हर किसी को हैरत में डाल दिया था और खुद लता मंगेशकर को भी इस घटना से निकलने में काफी वक्त लगा था.
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