सबसे गौ वंश से जुड़े पशुओं को स्नान कराकर उन्हें फूल माला, चन्दन लगाकर उनका पूजन किया जाता है। गाय को मिठाई का भोग लगाया जाता है और फिर उनकी आरती की जाती है। इस दिन भगवान को भोग और यथासामर्थ्य अन्न से बने कच्चे-पक्के भोग, फूल-फल सहित अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ का भोग लगाया जाता है। इसके बाद इस सामग्री परिवार और मित्रों में उसे प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है।
गोवर्धन पूजा व्रत कथा-महत्व
द्वापर युग में ब्रज में इंद्र की पूजा हो रही थी, इस दौरान ही जब भगवान कृष्ण गए और उन्होंने पूछा कि, यहां किसकी पूजा हो रही है। इसके जवाब में गोकुल वासियों ने जवाब देते हुए बताया कि, देवराज इंद्र की पूजा हो रही है। तब गोकुल वासियों से श्रीकृष्ण ने कहा कि, हमे इंद्र से कोई लाभ नहीं होता सिर्फ वर्षा करना ही उनका दायित्व है और वो उसका निर्वाह भी करते हैं, वहीं गोवर्धन पर्वत हमारे गौ-धन का संवर्धन और संरक्षण करते हैं।
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