जो बाइडन के पास ट्रम्प की “इंडो-पैसिफिक” रणनीति को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा


अमेरिका में चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच अब बाइडन बहुमत का आंकड़ा पार करते दिखाई दे रहे हैं। White House में बाइडन के प्रवेश का असर अमेरिका की विदेश नीति पर पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे में सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर बाइडन प्रशासन के अंतर्गत अमेरिका की Indo-Pacific नीति में क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं! स्पष्ट है कि Indo-Pacific वैश्विक राजनीति और कूटनीति का केंद्र बना हुआ है और यहाँ अमेरिकी की नीति में थोड़ा-बहुत बदलाव भी भारत समेत Quad, ASEAN और पेसिफिक देशों की नीति पर भी बड़ा प्रभाव डालेगा। ट्रम्प प्रशासन ने Indo-Pacific पर खासा ध्यान दिया था और माना जा रहा है कि बाइडन प्रशासन के अंतर्गत भी अमेरिका की विदेश नीति में Indo-Pacific को ही प्राथमिकता मिलने वाली है। कहा जा सकता है कि Indo-Pacific में चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए अमेरिका आगे भी अपनी कठोर Indo-Pacific नीति का ही अनुसरण करेगा!

बेशक बाइडन और हैरिस प्रशासन चीन को लेकर ट्रम्प जितना सख्त रुख नहीं रख पाएगा, लेकिन अमेरिका में चीन नीति को लेकर एक “Bipartisan” रज़ामंदी देखने को मिल चुकी है। Democrats और Republicans, दोनों ही चीन को सबसे बड़े खतरे के रूप में स्वीकार कर चुके हैं और कोई भी दल यह नहीं चाहता कि आर्थिक या फिर सैन्य मोर्चे पर चीन अमेरिका को पछाड़ दे! इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अब अमेरिका के अधिकतर लोग भी चीन से नफरत करने लगे हैं। हाल ही में सामने आए Pew Research के एक सर्वे के मुताबिक अमेरिका के करीब 73 प्रतिशत लोग चीन को लेकर नकारात्मक विचार रखते हैं। आम जनता में चीन के खिलाफ आक्रोश के कारण बाइडन प्रशासन को चीन से सख्ती से निपटना ही पड़ेगा। अगर बाइडन सरकार चीनी सरकार ने नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करेगी, तो इससे बाइडन प्रशासन की लोकप्रियता में कमी देखने को मिल सकती है। ऐसे में बाइडन ऐसी गलती कभी नहीं करेंगे।

ट्रम्प प्रशासन के अंतर्गत अमेरिकी सरकार ने Indo-Pacific command को सशक्त करने का काम किया था। पिछले चार सालों में अमेरिकी सेना Indo-pacific में बेहद आक्रामक posturing अपना चुकी है। आज अमेरिका की Indo-Pacific कमांड दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य कमांड में से एक है। इसमें करीब 3.75 लाख सैन्य और असैन्य कर्मचारी शामिल हैं। प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की सारी सैन्य गतिविधियों की जिम्मेदारी इसी दल की है। हालिया दिनों में इस कमांड ने दक्षिण चीन सागर में चीन के खिलाफ सख्त तेवर अपनाए हैं और भारत व जापान जैसी बड़ी ताकतों के साथ सहयोग बढ़ाने की बात कही है।

अमेरिकी की Indo-Pacific नीति में Quad और ASEAN दो सबसे अहम स्तम्भ हैं। Quad को लेकर बाइडन प्रशासन की नीति में शायद ही कोई बदलाव देखने को मिले। दुनियाभर में अमेरिका के वर्चस्व को बरकरार रख पाने का रास्ता Quad से होकर ही गुजरता है। यही कारण है कि बाइडन के बाद अमेरिका की भारत नीति, जापान नीति और ऑस्ट्रेलिया नीति में भी कोई बदलाव आने के अनुमान कम ही हैं। ASEAN देशों को लेकर आर्थिक पहलू पर अमेरिका की नीति में थोड़ा बदलाव देखने को ज़रूर मिल सकता है। ट्रम्प प्रशासन ASEAN देशों को चीन से व्यापार करने को लेकर हतोत्साहित कर रहा था, और उनपर अमेरिका या चीन में से किसी एक को चुनने का दबाव बना रहा था। हालांकि, बाइडन प्रशासन अपनी इस नीति में थोड़ी ढील ज़रूर दे सकता है। दूसरी ओर अमेरिका ASEAN को रणनीतिक तौर पर अपनी मुट्ठी में रखना चाहेगा। ऐसे में रणनीतिक पहलू पर अमेरिका की ASEAN नीति में कोई बदलाव शायद ही देखने को मिले!

उत्तर कोरिया को लेकर भी Democrats अपनी नीति में बड़ा बदलाव नहीं कर पाएंगे। उत्तर कोरिया के साथ बातचीत जारी रख बाइडन प्रशासन इस महत्वपूर्ण देश को खुलकर अमेरिका के खिलाफ जाने से रोकना चाहेगा। अमेरिका इस पड़ाव पर अगर उत्तर कोरिया के साथ वार्ता को आगे नहीं बढ़ाता है तो उत्तर कोरिया दोबारा चीन के पाले में जा सकता है।

वर्ष 2016 के बाद इन चार सालों में दुनिया बहुत बदल चुकी है। Democrats के खेमे में भी चीन को लेकर रुख में बदलाव आया है। बाइडन के आने के बाद चीन को आर्थिक पहलू पर राहत अवश्य मिल सकती है, लेकिन रणनीतिक तौर पर उसे शायद ही कोई राहत मिले!

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