इस वक्त खबरों की दुनिया में देश के वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी छाई हुई है। हर जुबां पर उनकी गिरफ्तारी को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो चला है। बात दें कि आज सुबह ही महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें उनके आवास से एक पुराने केस के सिलसिले में गिऱफ्तार कर लिया है। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस के रवैये को लेकर जिस तरह के सवाल उठाए हैं। वो इस समय सभी की जुबां पर छाए हुए हैं। अर्णब का कहना है कि पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान उनके साथ बदसुलूकी की है। यहां तक की उनके साथ मारपीट भी की गई। उन्हें दवाई तक नहीं लेने दिया गया।
बताया जा रहा है कि उन्हें 2018 के एक पुराने केस के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होेंने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक को उनकी पुरानी बकाई राशि नहीं चुकाई थी, जिसके चलते वे आत्महत्या करने पर मजबूर हो गए, जिसके बाद अब इन आरोपों के चलते पुलिस ने अर्णब को गिरफ्तार कर लिया है। उधर, रिपब्लिक टीवी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उधर, उनकी गिरफ्तारी के बाद से अब प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो चला है। वहीं, बीजेपी ने उनकी गिरफ्तारी को आपातकाल की संज्ञा तक दे दी है।
उधर, शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने अर्णब की गिरफ्तारी पर कहा कि महाराष्ट्र में कानून काी पालन किया जाता है। अगर किसी के खिलाफ सुबूत है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि ठाकरे सरकार के गठन के बाद से किसी के खिलाफ प्रतिशोध लेने के उद्देश्य से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं, बीजेपी के नेता अर्णब की गिरफ्तारी की भत्सर्ना कर रहे हैं। उन्होंने इस आलम को आपातकाल की संज्ञा दी है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि लोकतंत्र में इससे खराब दिन कुछ नहीं हो सकता है कि देश के वरिष्ठ पत्रकार के साथ अमानवीय व्यवहार किया है। इसकी जितनी निंदा की जाए। उतनी कम है। उधर, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ईरानी ने ट्वीट किया, ”स्वतंत्र प्रेस के लोग अगर आज अर्नब के समर्थन में खड़े नहीं होते हैं , तो आप रणनीतिक रूप से फासीवाद के समर्थन में हैं। आप भले ही उन्हें पसंद नहीं करते हों, आप उनको चाहे मान्यता नहीं देते हों, भले ही आप उनकी उपस्थिति को नजर अंदाज करते हों लेकिन अगर आप चुप रहे तो आप दमन का समर्थन करते हैं। अगर अगले शिकार आप होंगे, तो फिर कौन बोलेगा?”
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