ट्रम्प की विदेश नीति के साथ ही चलेंगे Biden, घरेलू स्तर पर भी उनके सुधार भारत को ही फायदा पहुचाएंगे


ट्रम्प के चार साल भारत-अमेरिका के रिश्तों के लिए बेमिसाल रहे! भारत और अमेरिका सुरक्षा और रणनीतिक मामलों पर एक दूसरे के बेहद करीब आए! हालांकि, अब यह लगभग तय हो गया है कि White House में बाइडन की एंट्री होने वाली है। बाइडन के आने के बाद अमेरिका-भारत के रिश्तों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यही आज का सबसे बड़ा सवाल है।

भारत और अमेरिका के संबंध आज इतने मजबूत हैं कि अमेरिका में आज चाहे किसी की सरकार भी बने, भारत को अमेरिका की विदेश नीति में सबसे ऊपर का स्थान मिलना तय है। भारत और अमेरिका Indo-Pacific नीति और Quad group में साथ मिलकर काम कर रहे हैं, और अगर अमेरिका को चीनी खतरे से निपटना है, तो उसे भारत का साथ देना ही पड़ेगा! यानि भारत और Indo-Pacific को लेकर ट्रम्प ने जो नीति बनाई थी, बाइडन भी उसी नीति का अनुसरण करते दिखाई देंगे! यानि विदेश नीति के मामले में भारत को अमेरिका की ओर से अब भी वही सहयोग मिलता रहेगा, जो ट्रम्प के समय मिलता था!

हाँ, अपनी घरेलू नीतियों में बाइडन बड़ा बदलाव ज़रूर कर सकते हैं, जो कई मायनों में भारत को ही फायदा पहुंचाएगा! उदाहरण के लिए Democrats immigration को लेकर सुस्त नीति अपना सकते हैं और H1B मुद्दे पर ट्रम्प प्रशासन द्वारा लाये गए कड़े नियमों को बदल सकते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा भारत के IT पेशेवरों को ही मिलेगा! H1B वीज़ा प्रणाली से ट्रम्प प्रशासन बिलकुल भी खुश नहीं था, और वह इसे प्रतिबंधित करना चाहता था। इसको लेकर भारत सरकार कई बार अमेरिकी सरकार के सामने अपनी चिंता प्रकट कर चुकी थी। अब जब बाइडन-कमला की जोड़ी सत्ता में आ रही है, तो इसके बाद भारत सरकार की यह बड़ी चिंता हमेशा के लिए खत्म होने वाली है।

दूसरा, Trade के मामले में भी भारत को बाइडन प्रशासन से बड़ा फायदा मिल सकता है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आर्थिक नीतियों को लेकर ट्रम्प सरकार और मोदी सरकार में टकराव देखने को मिलता था। ट्रम्प बार-बार भारत को एक “विकसित” देश कहते थे और भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर लगाए जाने वाले Tariffs का कड़ा विरोध करते थे। ट्रम्प ने एक बार अपने बयान में भारत को “Tariff King” भी कहा था। ट्रम्प प्रशासन का रवैया इतना सख्त था कि इतनी लंबी बातचीत के बाद भी भारत-अमेरिका की ट्रेड डील आज तक नहीं हो पाई है। मोदी सरकार की “Make in India” नीति और ट्रम्प सरकार की “America First” नीति के टकराव के भी हम सब साक्षी रह चुके हैं।

वर्ष 2019 में ही ट्रम्प ने भारत को बड़ा आर्थिक झटका देते हुए भारत को Generalized System of Preference सिस्टम से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। भारत इस सिस्टम के तहत अमेरिका को करीब 6 बिलियन डॉलर का duty–free export कर पाता था, जिसे ट्रम्प प्रशासन ने खत्म कर दिया था। अब उम्मीद है कि बाइडन प्रशासन ट्रेड के मामले में भारत को ज़्यादा छूट दे सकता है। यानि भारत को अमेरिका से अब अधिक से अधिक आर्थिक फायदा भी मिल सकेगा, जो ट्रम्प प्रशासन के अंतर्गत नहीं मिलता था।

ट्रम्प ने राष्ट्रपति रहते हुए भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाया, जिसे अब और आगे बढ़ाना बाइडन की ज़िम्मेदारी है। यहाँ बाइडन को ट्रम्प की नीति का ही पालन करना पड़ेगा! दूसरी ओर अब trade के मामले में भी भारत को अमेरिका से फायदा मिल पाएगा, जो ट्रम्प के समय नहीं मिल पाता था। बाइडन के सत्ता में आने के बाद भारत में ट्रम्प समर्थक बेशक निराश हों, लेकिन असल में बाइडन प्रशासन भारत के लिए बेहद फायदेमंद सिद्ध हो सकता है!

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