Bhai Dooj 2020: यमराज और यमुना की कथा है भाई दूज मनाने का कारण, इस शुभ मुहूर्त में करें टीका

 

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पांच दिनों तक दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. धनतेरस के दिन से शुरू होकर भाई दूज तक देशभर में दिवाली की रौनक होती है. इस वर्ष 16 नवंबर 2020 यानि सोमवार को भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा. कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है और इस दौरान बहनें अपने भाईयों की लंबी आयु और खुशियों की कामना करते हुए व्रत, पूजा और कथा करती हैं. तो भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हुए उन्हें खास उपहार देते हैं. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो सभी बहनों को भाई दूज का टीका अपने भाईयों को शुभ मुहूर्त के मुताबिक लगाना चाहिए. इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है और भाई-बहन का रिश्ता अटूट बना रहता है. तो आइए जानते हैं भाई दूज तिलक का शुभ मुहूर्त और कथा.

भाई दूज तिलक का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष की मानें तो बहनों को भाई दूज का टीका शुभ मुहूर्त में लगाना चाहिए और इस वर्ष टीका लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:56 से 03:06 बजे तक है.Bhai-Dooj-2020बहनों को पूजा के साथ व्रत और कथा भी सुननी चाहिए और सच्चे मन से भाई की लंबी आयु की कामना करनी चाहिए

भाई दूज कथा
भाई दूज को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है. भगवान सूर्य नारायण की पत्नी जिसका नाम छाया था उनकी कोख से यमुना तथा यमराज का जन्म हुआ था. यमुना अपने भाई यमराज से प्यार करती थी और काफी अनुरोध करती थी कि वह अपने मित्रों के साथ घर पधारें और भोजन करे. लेकिन यमराज हमेशा ही यमुना की बात को टालते रहते. फिर जब कार्तिक शुक्ला का दिन आया तोyamraj yamunaउस दिन यमुना ने फिर से यमराज को भोजन के लिए घर बुलाया और वजनबद्ध कर लिया. इस पर यमराज ने सोचा कि, मैं प्राणों को हरने वाला हूं और इसी कारण कोई मुझे अपने घर नहीं बुलाना चाहता. ऐसे में जिस प्रेम-स्नेह के साथ यमुना मुझे बुला रही है तो मेरा धर्म है कि मैं पालन करूं और घर जाऊं.

यमराज ने यमुना के निवेदन को स्वीकारते हुए जाने का निर्णय लिया और जाते-जाते नरक निवास करने वाले सभी जीवों को मुक्त कर दिया. जब यमराज, यमुना के घर पहुंचे तो वह काफी खुश हुई. उसने स्नान कर पूजन करके स्वादिष्ट व्यंजन परोसे और प्रेम सद्भाव से प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से कुछ मांगने को कहा तो वह बोली कि, भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन यानि कार्तिक शुक्ल पर मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो भी बहन इसी तरह अपने भाई का आदर करे उसका टीका करें उसे तुम्हारा भय ना रहे. इतना सुनकर यमराज ने खुश होकर तथास्तु कहा और अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोग का रास्ता लिया. इसी दिन से भाई दूज का पर्व मनाया जाने लगा.

मान्यता है कि जो कोई व्यक्ति यमुना की तरह अपने अतिथियों का सत्कार करता है उसे यम का भय नहीं रहता.

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