जो करिश्मा नरसिम्हा राव और केपीएस गिल ने 90 के दशक में किया आज मोदी को वही दोहराना चाहिए

 


पंजाब से दिल्ली कूच कर रहे किसानों का विरोध केंद्र द्वारा पारित कृषि कानून के खिलाफ बताया जा रहा है लेकिन असल में ये आंदोलन ख़ालिस्तानी आतंकवादियों के लिए एक मौका बन गया है। ये लोग खालिस्तान जिंदाबाद से लेकर आतंकी भिंडरावाले को महान बता रहे हैं। ऐसे में विदेशों में बैठे खालिस्तानी ग्रुप भी सक्रिय हो गए हैं जो इन सिखों को भड़काने में लगे हुए हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी को उसी नीति पर चलना चाहिए जिस पर चलते हुए पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और केपीएस गिल ने पंजाब से इस खालिस्तानी आतंकवाद का खात्मा किया था।

पंजाब से शुरू हुए किसान आंदोलन ने एक बार फिर अस्थिरता पैदा कर दी है। वायरल वीडियोज और खबरें बता रहीं है कि किस तरह से लोग खालिस्तान के नारे एक बार फिर लगाने लगे हैं। ख़ालिस्तानी आतंकी भिंडरावाले  को शहीद और महान बताने के पोस्टर तक लेकर लोग अब सड़कों पर निकल पड़े हैं। इस स्थिति को देखते हुए अब विदेशी खालिस्तानी समर्थक और आतंकी एक्टिव हो गए हैं। अमेरिका स्थित जस्टिस फार सिख संस्था ने एक मिलियन का अनुदान देने की बात कही है जो दिखाता है कि वो भी अब इस बहते पानी में आतंकवाद के हाथ धुलना चाहते हैं।

इस किसान आंदोलन में न केवल खालिस्तान अपितु पाकिस्तान की भी जय जयकार हो रही है। जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक युवक पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते सुनाई दे रहा है। खास बात ये भी है कि इसमें पंजाब की लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरजीत सिंह बैंसे भी दिखाई दे रहे हैं, जो काफी चौंकाने वाली बात है। इसको लेकर अभी कोई आधिकारिक पुष्टि तो नहीं हुई है लेकिन ये सच है कि ये नारे विधायक के सामने ही लगे हैं।

इस किसान आंदोलन को देखकर लगने लगा है कि एक बार फिर देश के संपन्न राज्यों में से एक पंजाब अब आतंकवाद के रास्ते पर जाने लगा है। जिसकी काफी हद तक जिम्मेदार कांग्रेस शासित कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार भी है। खालिस्तान के समर्थन में नारे लगने के साथ ही पाकिस्तान जिंदाबाद की बयार चलना बताता है कि पंजाब में अब अस्थिरता ने अपने पांव पसार लिए हैं जिससे निपटना बेहद ही आवश्यक होगा। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उसी नीति पर चलना चाहिए जिस पर चलते हुए देश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पूर्व डीजीपी केपीएस गिल के साथ मिलकर पंजाब से आतंकवाद की सफाई की थी।

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने पंजाब के आतंकवाद को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वो चुने ही ऐसे वक्त में गए जब राज्य में ये आतंकवाद अपने चरम पर था। ऐसे में उन्होंने पंजाब में स्थानीय लोगों और नेताओं को ज्यादा महत्व दिया और मुख्यमंत्री को भी भरोसे में लिया । आतंकियों के खिलाफ सघन अभियान चलाने में पुलिस की मदद की। पुलिस को किसी भी तरह के असामाजिक तत्त्व के खिलाफ कार्रवाई करने की खुली छूट दी। खुले हाथ पाकर पुलिसकर्मियों ने आतंकवादियों की कमर तोड़ दी। नतीजा ये कि छोटे से समयांतराल में ही पंजाब से आतंकवाद का खात्मा हो गया और स्थितियां हमेशा के लिए सामान्य हो गईं।

पंजाब के आतंकवाद को खत्म करने में एक बड़ी भूमिका तत्कालीन डीजीपी केपीएस गिल की थी। उन्होंने अपनी कार्यकुशलता का परिचय 1988 में दिया था जब केपीएस गिल ने ऑपरेशन ब्लैकथंडर के तहत बिना खास गोलीबारी के चरमपंथियों को स्वर्ण मंदिर से बाहर निकाला था। गिल के नेतृत्व में बिजली, पानी की सप्लाई रोककर मंदिर परिसर से चरमपंथियों को बाहर निकाला गया। उन्होंने जरूरत के अनुसार गोली का प्रयोग किया, लेकिन उनका खौफ इतना ज्यादा हो गया था कि लोग उन्हें सुपर कॉप के नाम से जानने लगे थे।

केपीएस गिल ने आतंकवादियों से नाराज लोगों को ही आतंकियों से लड़ने का हथियार बनाया। आतंकवादियों ने बहुत सारे लोगों को निशाना बनाया था। गिल ने उनके घरवालों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में शामिल करते हुए 5 वर्षों में पंजाब पुलिस बल की संख्या 35 हजार से बढ़कर 60 हजार कर दी। नतीजा ये हुआ ये आतंकियों से लोगों का ध्यान हटा और  बेरोजगार लोगों को मौका मिला। इससे लोग आतंकवाद से विमुख होकर पुलिस के साथ आने लगे और आतंकियों की कमर टूटती चली गई।

केपीएस गिल और पीवी नरसिम्हा राव ने अपने-अपने तरीके से पंजाब के उस बिगड़े रुख को संभाला और राज्य में आतंकवाद की कमर तोड़ दी। जिसके लिए आज भी उनकी सराहना ही की जाती है। ऐसे में पंजाब की हालिया स्थितियां भी उसी ओर इशारा करने लगी हैं। जहां खालिस्तान और पाकिस्तान का समर्थन करने वालों की तादाद बढ़ रही है जिससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पीवी नरसिम्हा राव और केपीएस गिल की नीति पर ही आगे बढ़ना होगा, वरना स्थितियां अधिक भयावह होंगी।

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