जानें चाणक्य की वो 4 नीति, जिनमे पुरूषों के मुकाबले महिलाएं होती हैं सबसे आगे


जब भी घरों में चालाकी की बात होती है, तो अकसर लोग चाणक्य का उदाहरण देते हैं. चंद्रगुप्त जैसे लोगों को सम्राट बनाने वाले आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथों (चाणक्य नीति) में कई ऐसे तथ्य को उजागर किया है, जिसका संबंध जीवन की सफलता से है. इसी नीति ग्रंथ में उन्होंने महिलाओं और पुरुषों के संबंधों और उनके गुणों से संबंधित कई तथ्य का उल्लेख किया है. दरअसल चाणक्य ने अपने श्लोक के माध्यम से महिलाओं के 4 ऐसे गुणों को उजागर किया है, जिसमें वो पुरूषों से अधिक तेज होती हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये 4 गुण हैं कौन से, तो आगे आपको हम अपनी इस खबर में इन्हीं गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आप जानना चाहते हैं.


चाणक्य के श्लोक का अर्थ
त्रीणां दि्वगुण आहारो बुदि्धस्तासां चतुर्गुणा।
साहसं षड्गुणं चैव कामोष्टगुण उच्यते।।

  1. चाणक्य का ‘स्त्रीणां दि्वगुण आहारो’ शब्द से तात्पर्य महिलाओं की भूख से है. यानी कि वो कहते हैं कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को सबसे ज्यादा भूख लगती है. अकसर खाने के मामले में आपने महिलाओं को पुरूषों से आगे ही देखा होगा. इसलिए चाणक्य का मानना है कि महिलाओं को पुरुषों से दोगुना ज्यादा भूख लगती है.लेकिन यदि महिलाओं के शरीर की बनावट और उसके उनकी कैलोरी की जरूरत को देखें तो उन्हें ऊर्जा की ज्यादा आवश्यकता होती है. ऐसे में इसलिए महिलाओं का ज्यादा खाना जरूरी भी हो जाता है.

2. दरअसल चाणक्य ने अपनी इस नीति में ये भी कहा है कि महिलाओं पुरूषों से ज्यादा चालाक होती है. यहां तक कि पुरूषों से ज्यादा समझदारी महिलाओं में होती है.

इसलिए जब भी उनके जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी आती है, तो उसमें अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करती हैं, और आसानी से उससे छुटकारा भी पा लेती हैं.

3. हालांकि आम सोच के मुताबिक महिलाएं पुरुषों के अपेक्षा काफी कमजोर होती हैं, जबकि चाणक्य की धारणा इससे बिलकुल उलट है.

उनका मानना है कि महिलाएं 6 गुना ज्यादा पुरुषों साहसी होती है.

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