बराक ओबामा ने 26/11 अटैक के बाद मनमोहन सिंह की मजबूरी का किया खुलासा

 

वॉशिंगटन। देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को सबसे सुरक्षित महसूस कर रही है तो उसका कारण भी है। पुलवामा और उरी जैसे हमलों का जिस तरह से दुश्मन देशों को जवाब दिया गया इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने देश के साथ—साथ भारत पर नजर रखने वालों को एहसास दिला दिया कि यह बदला हुआ भारत है। यह अलग बात है कि कांग्रेस पार्टी को पीएम मोदी के नेतृत्व क्षमता पर यकीन नहीं हो पा रहा है। क्योंकि सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने कभी ऐसा साहस दिखाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी। इसके कई उदाहरण हमारे सामने हैं। मुंबई हमले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने से इसलिए बचे कि कहीं जनता में मुस्लिम विरोधी होने का संदेश न चला जाए और भाजपा को इसका लाभ मिल जाए।

यह खुलासा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कल रिलीज हुए अपने आत्मकथा के पहले भाग- ‘अ प्रोमिस्ड लैंड’ में किया है। इसमें उन्होंने कहा कि 26/11 अटैक के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत की तरफ से कार्रवाई न करने का खामियाजा मनमोनह सिंह को राजनीतिक तौर पर भुगतना पड़ा। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी आत्मकथा में इसका जिक्र उस समय का किया है जब वह दिसंबर, 2010 में भारत के दौरे पर आए हुए थे और मनमोहन सिंह के साथ इस मसले पर बातचीत की थी।

ओबामा ने बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बात का डर था कि बढ़ती मुस्लिम विरोधी भावनाओं ने भारत में मुख्य विपक्षी दल भाजपा को मजबूत किया है। ऐसी अनिश्चितता की घड़ी में लोगों में जातीय और धार्मिक एकजुटता की भावना उत्पन्न हो सकती थी। ऐसे में राजनेताओं को मौके का फायदा उठाने का मौका मिल जाएगा। मजे की बात यह है कि ओबामा ने किताब में मनमोहन सिंह को बुद्धिमान, अच्छी सोच रखने वाले और ईमानदार करार दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि उस समय सिंह और मैं गर्मजोशी से फलदायक संबंध विकसित किए थे।

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