झूठा निकला दुष्कर्म का आरोप, कोर्ट ने युवती पर ठोंका 15 लाख का जुर्माना

नई दिल्ली। देश में दुष्कर्म के बढ़ते मामलों को लेकर एक तरफ कड़े कानून बनाए जाने की मांग चल रही है वहीं दूसरी तरफ रेप जैसे घिनौने मामले फर्जी भी पाए जा रहे हैं। दुष्कर्म ऐसा शब्द है जिसका आरोप लगने मात्र से ही व्यक्ति के चरित्र पर सवाल उठने लगते हैं। ऐसे में अगर गंभीर मामले में गलत आरोप लगेंगे तो व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है। इसी तरह का मामला चेन्नई से सामने आया है, जहां अदालत ने दुष्कर्म के मामले को झूठा पाते हुए लड़की को 15 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। आरोपी शख्स पर कॉलेज की ही एक छात्रा ने दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। इसके बाद सात साल तक मामला चला जिसमें कोर्ट ने मुकदमे को निराधार पाते हुए आरोपी को बरी कर दिया।

मीडिया खबरों के मुताबिक बलात्कार पीड़िता के डीएनए टेस्ट में साबित हुआ कि उसने जिस युवक पर आरोप लगाया था असल में वह आरोपी ही नहीं था। ऐसे में उसने झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाते हुए मुआवजे के लिए मुकदमा दायर किया था। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उस लड़की को 15 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश सुनाया है। कोर्ट ने यह मुआवजा राशि उस महिला और उसके माता-पिता को झूठी शिकायत दर्ज कराने व आरोपी के कॅरियर को बर्बाद करने के बदले में सुनाया है।

दुष्कर्म का झूठा आरोप झेलने वाले संतोष ने आरोप लगाने वाली लड़की, उसके माता-पिता और सचिवालय कॉलोनी के पुलिस निरीक्षक से हर्जाने के तौर पर 30 लाख रुपए की मांग की थी। संतोष के वकील ए सिराजुद्दीन ने बताया कि उनके मुवक्किल संतोष का परिवार और आरोप लगाने वाली महिला का परिवार पड़ोसी हैं। दोनों एक ही समुदाय के हैं, संतोष की शादी उक्त महिला से कराए जाने को लेकर दोनों परिवारों के बीच यह सहमति हुई थी। लेकिन संपत्ति के विवाद को लेकर दोनों परिवार बाद में अलग हो गए थे।

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