इनका तो खुदा है रखवाला, साढ़े 11 हजार सैंपल में एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं

 

लखनऊ। गरीबी—मुफलिसी में पलने वाला शख्स हर चुनौती का सामने करने में सक्षम होता है। शायद इसी को देखते हुए बहुत पहले बनी फिल्म सड़क में एक गाना फिल्माया गया था— रहने को घर नहीं, सोने को बिस्तर नहीं, अपना तो खुदा है रखवाला, अब तक उसी ने है पाला। झुग्गी—झोपड़ी में गुजर—बसर करने वालों के साथ भी ऐसा ही है। कहने को तो ऐसे लोग हर सरकार की प्राथमिकता में होते है, लेकिन कितनी प्राथमिकता में होते हैं यह हर किसी को पता है। कोरोना काल में जहां साफ—सफाई, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क आदि—इत्यादि को अपनाकर इस महामारी से बचाव की बातें हो रही हैं। वहीं कोई मलिन बस्ती की तरफ देखने वाला भी नहीं है, और देखें भी क्यों? क्योंकि एतिहात के तौर पर जिन चीजों की बातें हो रही हैं वह यहां के लिए फिट ही नहीं बैठती।

गौरतलब है कि जब पूरा देश कोरोना महामारी के गंभीर संकट से जूझ रहा था तब किसी को मलिन बस्ती की याद नहीं आई। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीमों को अब लगा कि मलिन बस्ती में रहने वाले लोग भी इंसान ही हैं। शायद इसी के चलते लखनऊ स्वास्थ्य विभाग की ओर से मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों का कोरोना जांच कराई गई। लेकिन जांच के बाद जो नतीजे सामने आए वह बेहद ही चौंकाने वाले रहे। जांच रिपोर्ट से साबित हो गया कि कोरोना मलिन बस्ती के लोगों की जगह पॉश इलाके में रहने वालों के लिए ज्यादा आक्रामक है। बता दें कि बीते दिनों राजधानी लखनऊ की मलिन बस्तियों से 11 हजार से अधिक सैंपल लिए गए थे। लेकिन जांच रिपोर्ट में इनमें से एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया।

इस बारे में स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि लखनऊ की मलिन बस्तियों से कुल 11,622 सैंपल लिए गए थे। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से ये सैंपल 19 से 21 नवंबर के बीच लिए गए थे। मजे की बात यह है कि इन सैंपलों में से एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया। टीम ने यहां 6,850 एंटीजन और 4,772 आरटीपीसीआर टेस्ट कराए थे। इस पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यहां रहने वाले लोगों की इम्युनिटी पॉश कॉलोनियों में रहने वाले लोगों से काफी मजबूत है। यही कारण है कि कोरोना असर यहां नहीं दिख रहा है। लेकिन सबसे मौजू सवाल यह है कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जहां लोग तरह—तरह के उपाय अपना रहे हैं वहीं मलिन बस्ती के लोग रूखी—सूखी रोटी खाकर कोरोना जैसी महामारी को मात दे रहे हैं।

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