“कहाँ गया Muslim Brotherhood?”, मुस्लिम देश ही अब उइगरों को चीन transfer करने में लगे हैं


चीन के ही शिनजियांग शहर में कम्युनिस्ट पार्टी उइगर मुस्लिमों के खिलाफ लगातार दमनकारी अभियान चला रही है। इस्लामिक देश होने के बावजूद तुर्की भी इस कुकृत्य में चीन के साथ खड़ा है। तुर्की में हजारों उइगर मुस्लिमों के परिजन गायब हैं, जिसके खिलाफ अब उन्होंने भी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन शुरु कर दिया है। आरोप हैं कि तुर्की उइगर मुस्लिमों को वापस चीन भेज रहा है। चीन की दमनकारी कार्रवाइयों के खिलाफ चुप्पी साधने वाले ऐसे ही इस्लामिक देशों का रवैया अब उनकी पोल खोल रहा है कि असल में ये इनके दोहरे मापदंड को दिखाता है।

दरअसल, समाचार एजेंसी एफपी के पत्रकार की रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में सैकड़ों उइगर मुस्लिमों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया और अपने गुमशुदा परिजनों को लेकर सरकार के सामने सवाल उठाए। शहर के Beyazit स्क्वायर में 500 से ज्यादा लोग इकट्टे हुए और उन्होंने इस दौरान अपने गुमशुदा परिजनों की तस्वीरें हाथों में पकड़ रखी थीं। वे सभी नारे लगा रहे थे “मेरा परिवार कहां हैं?” “मेरे परिवार को आजाद करो”, “कॉन्सनट्रेशन कैंप बंद करो”, जैसे नारे शामिल थे।

प्रदर्शनकारियों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, जो कि शिनजियांग शहर में चीन द्वारा एक मिलियन मुस्लिमों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इन उइगर मुस्लिमों को डिटेंशन कैंप में रखा गया है जहां उन्हें सरकार द्वारा प्राताड़ित किया जा रहा है।

प्रदर्शनकरी लगातार अपनों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी ही एक प्रदर्शनकारी मुकर्रीम कुतर ने कहा, “मुझे अपने परिवार के बारे मे कोई सूचना नहीं है। मुझे उनके बारे में कुछ पता नहीं हैं मेरे बाई बहन सभी लापाता हैं।” ऐसे ही एक अन्य शख्स ने बताया कि 2006 से उसका परिवार गुमशुदा है। दूसरे शख्स ने बताया कि आखिरी बार उन्हें अपने परिवार के बारे में पता लगा था कि वो वहां के किसी मजदूर कैंप में हैं। ये तो चंद कुछ जिक्र हैं असल में चीन के हर एक उइगर मुस्लिम की कहानी ऐसी है।

इस मामले को लेकर ऑस्ट्रेलिया की रणनीतिक इन्सटीट्यूट की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि चीन ने अपने उत्तर पश्चिमी शिनजियांग में उम्मीद से ज्यादा डिटेंशन सेंटर बना रखे हैं। जहां अनेकों उइगर मुस्लिमों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। इन सबसे इतर चीनी सरकार इन सारे दावों को नकार रही है और उसका कहना है कि वहां किसी भी प्रकार का कोई डिटेंशन कैंप नहीं बना हैं। हम लगातार उइगर मुस्लिमों को छोड़ रहे है। वहां जो कैंप हैं वो वोकेशनल कैंप हैं जिसमें कट्टरपंथ को खत्म करने का काम किया जा रहा है।

गौरतलब है कि दुनिया में किसी भी देश में मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार होने पर खुलकर बोलने वाले नेता भी अब चीन के उइगर मुस्लिमों वाले मुद्दे पर चुप्पी साध कर बैठे हैं। तुर्की ने चीन से खूब कर्ज ले रखा है। शायद यही कारण है कि उइगर मुस्लिमों के मुद्दों पर चीन को कुछ बोलने की हिम्मत नहीं है। वो तो चीन से वफादारी दिखाते हुए लगातार उइगर मुस्लिमों को वापस चीन भेज रहा है। पूरे विश्व में एकता दिखाने वाले इस्लामिक देशों को ये रवैया बताता है कि वे दोगलेपन की सारी सीमाओं को लांघ चुके हैं।

चीन पूरी दुनिया में अपना बिजनेस कर रहा है जिसके चलते उसे धंधेबाज देश कहा जाता है। अनेकों इस्लामिक देशों को कर्ज देकर उन देशों की आर्थिक मदद कर रहा है। ऐसे में कोई भी देश उसके साथ अपने रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहता है क्योंकि इससे उसके चीन के साथ संबधों पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए वो इसी नीति पर चल रहे हैं कि तुम लोग चाहे जियो या मरो… हमें धंधे से मतलब है।

चीन के आर्थिक रसूख के आगे इस्लामिक देश सरेंडर की स्थिति में ही रहते है, और इसीलिए केवल तुर्की ही नहीं, बल्कि अन्य इस्लामिक देश भी लगातार उइगर मुस्लिमों को चीन वापस मरने के लिए भेज दे रहे हैं।

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