केरल का ‘COVID’ मॉडल कुछ नहीं, एक फ्रॉड है- कैसे कम्युनिस्ट सरकार ने पूरी दुनिया को उल्लू बनाया


जब वुहान वायरस ने भारत में पैर पसारने शुरू किए थे, और महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश जैसे राज्य इसकी गिरफ्त में आ रहे थे, तब केरल में इसका असर काफी कम था। इसी के आधार पर केरल द्वारा अपनाए जा रहे तौर तरीकों को केरल मॉडल की संज्ञा दी गई, जो वामपंथियों और मीडिया में उनके समर्थकों द्वारा बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया। परंतु अब जब भारत में वुहान वायरस का प्रकोप कम होता हुआ दिखाई दे रहा है, तो उसी के साथ-साथ वुहान वायरस से निपटने के केरल मॉडल की भी पोल खुल रही है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार केरल के एक प्राइवेट लैब के घालमेल से अंदेशा लगाया जा सकता है कि केरल मॉडल के नाम पर केरल की जनता के साथ सरकार किस प्रकार का खिलवाड़ कर रही है। मलप्पुरम जिले के वालनचेरी में स्थित एक निजी लैब ने COVID टेस्ट के नाम पर न केवल घालमेल किया, अपितु इस घालमेल से करीब 45 लाख रुपये भी कमाए।

परंतु ये घालमेल आखिर था किस बात का? दरअसल, इस लैब ने काफी बड़े स्तर पर फर्जी COVID टेस्ट नेगेटिव के सर्टिफिकेट बांटे थे। इतना ही नहीं, इस लैब ने जितने सैंपल टेस्टिंग के लिए इकट्ठा किए थे, उनमें से बहुत ही कम सैंपल वास्तव में टेस्टिंग के लिए भेजे गए थे। पुलिस के अनुसार, कोझिकोड में स्थित लैब की फ्रैंचाइज़ के रूप में काम करने वाली अरमा लैब ने करीब 2500 लोगों से सैंपल इकट्ठा किए थे। लेकिन मूल लैब को केवल 496 सैंपल ही टेस्टिंग के लिए भेजे गए थे, और बाकी सैंपल्स को बिना टेस्ट किए ही नेगेटिव रिपोर्ट भेज दी गई।

इन्हीं कारणों से सोमवार को 200 लोगों को कोझिकोड एवं कन्नूर एयरपोर्ट्स से दुबई के लिए जाने वाली फ्लाइट में प्रवेश करने से रोका गया था, क्योंकि दुबई के एविएशन अफसरों ने कोझिकोड के लैब द्वारा जारी इन 200 यात्रियों से संबन्धित RT PCR टेस्ट सर्टिफिकेट को संदेहास्पद मानते हुए इसे स्वीकारने से मना कर दिया था।

कल्पना कीजिये, जब एक लैब और उससे संबन्धित फ्रैंचाइज़ का यह हाल है तो पूरे केरल का क्या हाल होगा? अब तक केरल से 1 लाख 96 से भी ज़्यादा संक्रमित लोगों के मामले सामने आए हैं, जो केरल मॉडल की पूरी तरह से पोल खोल देता है। मई माह तक केरल के मुक़ाबले गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार की हालत बहुत ज़्यादा खराब थी। जहां गुजरात और मध्य प्रदेश संक्रमित लोगों के मामलों में भारत के राज्यों में टॉप 3 में शामिल रहते थे, तो वहीं केरल में कम दर से बढ़ते मामलों के कारण केरल मॉडल की मिसाल दी जा रही थी।

लेकिन तब से लगभग पांच महीने हो चुके हैं, और स्थिति पूरी तरह उल्टी पड़ चुकी है। जिन राज्यों पर महाराष्ट्र की तरह वुहान वायरस का प्रमुख केंद्र बनने का खतरा मंडरा रहा है, वे सफलतापूर्वक उस भय पर विजय प्राप्त कर चुके हैं, और चाहे गुजरात हो, राजस्थान हो या फिर मध्य प्रदेश। वहीं, दूसरी ओर केरल में वुहान वायरस से संक्रमित लोगों के मामले काफी ज़्यादा मात्रा में सामने आ रहे हैं। इस बारे में मई माह से ही स्वास्थ्य विशेषज्ञ सवाल उठा रहे थे, क्योंकि उनके अनुसार केरल में पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग नहीं हो रही है, लेकिन उनकी चिंताओं को सिरे से नज़रअंदाज़ किया गया था।

अब स्थिति तो यह हो गई है कि वुहान वायरस से निपटने वाले जिस बिहार मॉडल की जमकर आलोचना की जा रही थी, वो भी अब केरल मॉडेल से काफी बेहतर काम कर रहा है, क्योंकि इतने दिनों के बाद अब बिहार में करीब 1 लाख 82 हज़ार संक्रमित मामले हैं। ऐसे में केरल के प्राइवेट COVID टेस्टिंग लैब में हो रहे घपलों से ये सिद्ध होता है कि जिस केरल मॉडल की वामपंथी ब्रिगेड तारीफ करते नहीं थकते थे, वह केरल मॉडल महज़ एक छलावा था।

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