भारत विरोधी रहे बाइडन ने भारतवंशियों का दिल जीतने का आखिरी प्रयास किया, पर बहुत देर हो चुकी


अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव अर्ली वोटिंग सिस्टम के अंतर्गत वोटिंग के साथ प्रारंभ हो चुके हैं, जिसके अंतर्गत अब तक लगभग 6 करोड़ लोगों ने मतदान में हिस्सा ली है। ऐसे में डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन अमेरिकी वोटर्स, विशेषकर भारतीय मूल के अमेरिकी वोटर्स को लुभाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने के लिए तैयार हैं।

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत के वायु प्रदूषण के परिप्रेक्ष्य में की गई आलोचना को तिल का ताड़ बनाते हुए जो बाइडन ने अपने ट्वीट में कहा, “राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत को गंदा बताया। आप अपने दोस्तों से ऐसे तो नहीं बात करते और न ही जलवायु परिवर्तन की समस्या सुलझाते हो। कमला हैरिस और मैं ये सुनिश्चित करेंगे कि भारत अमेरिका साझेदारी में सम्मान को अधिक महत्व दिया जाए।”

जो बाइडन भारतीय अमेरिकियों को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, और इस काम में वैश्विक मीडिया का वामपंथी धड़ा भी उनका पूरा पूरा साथ दे रहा है। लेकिन कई भारतीय अमेरिकी आज भी इस बात को नहीं भूले हैं कि ये वही बाइडेन है, जिनकी डेमोक्रेट पार्टी अब भी मोदी सरकार और उनकी लोकप्रियता से चिढ़ती है, और उन्हें नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ती है।

अपने चुनाव प्रचार के दौरान जो बाइडन ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए CAA, NRC, और कश्मीर के मुद्दों को लेकर काफी भारत विरोधी बयान दिए थे। बाइडन के अनुसार, “वर्तमान सरकार के निर्णय [CAA, NRC और कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण] भारत के धर्मनिरपेक्षता की वर्षों पुरानी परंपरा के विरुद्ध जाती है। कश्मीर में भारत सरकार को लोगों के नागरिक अधिकारों को पुनः बहाल करना चाहिए। शांतिपूर्ण विरोध को रोकना या इंटरनेट पर रोक लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।”

ये भारत के आंतरिक मामले में स्पष्ट हस्तक्षेप दिखाता है, क्योंकि कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार हटाना भारत का आंतरिक मामला है। यदि बाइडन सत्ता में आए, तो वे किस प्रकार से भारत की नीतियों में खलल डाल सकते हैं, ये बयान इसके भी संकेत दे रहा था। भारी विरोध के बाद डेमोक्रेट्स को इस विवादित बयान को हटाने पर विवश होना पड़ा।

इसके अलावा जो बाइडन ने भारतीय अमेरिकियों को लुभाने के लिए H1B वीजा के मिलने पर लगी रोक को भी हटाने का वादा किया। लेकिन सच कहें तो जो बाइडेन न भारत के मित्र थे, और न ही कभी होंगे। इसका मूल कारण जानने के लिए आपको 1992 की ओर रुख करना होगा, जब जो बाइडन ने अमेरिकी सीनेट पर दबाव डालते हुए रूस और भारत के बीच 24 बिलियन डॉलर मूल्य के क्रायोजेनिक इंजन के बीच में होने वाली डील पर रोक लगाई, जिससे प्रारंभ में अमेरिका को कोई आपत्ति नहीं थी। यदि ये डील हो जाती, तो आज अंतरिक्ष में जो कीर्तिमान भारत रच रहा है, वही कीर्तिमान वह 20 वर्ष पहले ही रच लेता, परंतु जो बाइडेन के एक इशारे पर भारत के स्पेस तकनीक को दशकों पीछे धकेल दिया।

वहीं दूसरी ओर भारतीय मूल के होने के बावजूद कमला हैरिस की वफादारी भारत की ओर तो कम  दिखाई देती है। चाहे कश्मीर नीति की निरंतर आलोचना हो, या फिर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच के संबंधों को बहाल करने पर जोर देना हो, कमला हैरिस ने निरंतर भारत विरोधी पक्ष को ही बढ़ावा दिया है, यहाँ तक कि कश्मीर के विषय पर कमला हैरिस ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि कश्मीर के विषय पर जो भारत ने किया, वह अमेरिका के उसूल और योग्यता के विरुद्ध जाता है, और अमेरिका सब देख रहा है।

जहां डेमोक्रेट्स भारत की आलोचना करने का एक अवसर भी हाथ से जाने नहीं देते, तो वहीं वे चीन और पाकिस्तान द्वारा भारत की सीमाओं के घुसपैठ पर चुप्पी साध लेते हैं। इसके बाद भी वे ये सोचते हैं और चाहते हैं कि भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेट पार्टी को ही वोट दें। लेकिन वे ये भूल गए हैं कि भारतीय अमेरिकी अब पहले जैसे नहीं रहे, बल्कि 2016 के बाद से डोनाल्ड ट्रम्प के लिए भारतीय अमेरिकियों का समर्थन दुगना हुआ है। इसके अलावा कई चुनावी विशेषज्ञ इस चुनाव को कांटे की टक्कर का मान रहे हैं, जो निस्संदेह ट्रम्प प्रशासन के लिए काफी शुभ संकेत देता है।

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