कैसे कांग्रेसी ही ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि राहुल गाँधी की कभी पार्टी में वापसी न हो

 


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और अपनी अपरिपक्वता के कारण चर्चा का विषय रहने वाले वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल गांधी को अब उनकी ही पार्टी में किनारे किया जा रहा है। हालिया मामले की बात करें तो मध्य प्रदेश की 28 महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनावों में उनकी सक्रियता न के बराबर है। वहीं बिहार चुनाव में भी अभी तक वो कही दिखे ही नहीं है। राहुल से जुड़ी ख़बरें ये भी है कि कांग्रेस के बगावती जी-23 नेता उनके खिलाफ भी एक पत्र जारी करने वाले हैं जो दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बेबुनियाद राजनीतिक आरोप लगाने वाले राहुल की प्रासांगिकता अब उनकी ही पार्टी में खत्म हो रही है।

वचन पत्र से गायब राहुल

दरअसल, मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनावों को लेकर कांग्रेस ने जो अपना वचन पत्र जारी किया है उसमें राहुल गांधी का नामों निशान नहीं है। इसमें कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तस्वीर लगी है फिर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की एक बड़ी-सी तस्वीर लगी है। खास बात ये है कि इस वचन पत्र में दिग्विजय सिंह को भी जगह नहीं मिली है। इस पूरे मामले में के बाद ये सवाल उठने लगे हैं कि राहुल गांधी की तस्वीर क्यों नहीं है? इसको लेकर बीजेपी ने तंज कस दिया है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में राहुल की तस्वीर का न होना इस बात का साफ संकेत है कि कमलनाथ अब राहुल गांधी को अपना नेता नहीं मानते हैं।

अंदरखाने भी बवाल

वचन पत्र पर मचे इस बवाल को लेकर पार्टी में अंदरखाने भी उठा-पटक शुरू हो गई है। एमपी कांग्रेस के ही नेता माणक अग्रवाल ने सवाल उठाए हैं कि इस वचन पत्र में राहुल गांधी और दिग्विजय की फोटो होनी चाहिए थी क्योंकि दोनों ही ज़रूरी है। जब बवाल धीरे-धीरे ज़्यादा बढ़ने लगा तो पार्टी बैकफुट पर आ गई। जिसके बाद पार्टी के मीडिया कॉर्डिनेटर नरेन्द्र सलूजा ने डैमेज कंट्रोल करते हुए ये कह दिया कि यह वचन पत्र असली है ही नहीं, अभी वचन पत्र छपने गया है। गौरतलब है कि राहुल की ग़ैरमौजूदगी के बाद इस वचन पत्र को खारिज करना कांग्रेस की मजबूरी ही था और अंत में वही हुआ लेकिन इस पूरे वाकये से एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि क्या अब राहुल की अपनी ही पार्टी में प्रासांगिकता नहीं बची है?

कमलनाथ पड़े अकेले

हम आपको अपनी रिपोर्ट्स में पहले ही बता चुके हैं कि मध्य प्रदेश उपचुनावों में किस तरह से सब कुछ कमलनाथ और दिग्विजय पर ही छोड़ दिया गया है जिससे कहीं-न-कहीं ये दोनों भी खफा हैं। पार्टी आलाकमान की तरफ से चुनाव में प्रचार को लेकर अभी तक कोई बड़ा नेता नहीं दिखा है। प्रियंका गांधी वाड्रा से लेकर सचिन पायलट सभी के चुनाव प्रचार में जाने की बातें तो हो रही थीं लेकिन अभी तक कोई नहीं दिखा है। गौरतलब है कि राहुल गांधी को तो कमलनाथ शायद बुलाना भी नहीं चाहते होंगे, क्योंकि पंजाब का उदाहरण सभी को याद है जहां राहुल ने एक भी रैली नहीं की और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने दम पर चुनाव जीत लिया। ठीक इसी राह पर कमलनाथ भी तो नहीं चल पड़े हैं? ये भी एक महत्वपूर्ण सवाल है।

असंवेदनशील हैं राहुल

कांग्रेस पार्टी के वो बगावती जी-23 नेता जिन्होंने सोनिया गांधी को आंतरिक चुनाव के लिए पत्र लिखा था, जिसके बाद पार्टी की छवि सुधारने के लिए सोनिया का जाना अब लगभग तय है लेकिन सभी जानते हैं कि अब उनके ऊपर राहुल गांधी जैसे अपरिपक्व नेता को अध्यक्ष के रूप में भी थोपा जा सकता है। जिसके चलते हाल ही में एक नया मामाला सामने आया है कि इन्हीं बगावती जी-23 नेताओं ने राहुल गांधी की विश्वसनीयता को लेकर एक नया पत्र लिखने की तैयारी कर ली है जिसका आधार हाल ही में उनके द्वारा चीन और अंतराष्ट्रीय मुद्दों पर दिए गए बयानों को बनाया गया है। सोनिया के बाद राहुल की खिलाफत वाला ये पत्र सार्वजनिक होता है तो ये गांधी परिवार समेत राहुल के राजनीतिक जीवन के लिए एक नया झटका हो सकता है।

इस बगावती जी-23 नेताओं में सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शामिल हैं जो कांग्रेस में आमूल-चूल परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। इसी के चलते अब ये नेता राहुल के खिलाफ भी मोर्चा खोल चुके हैं जिससे राजनीतिक रूप से असफल राहुल गांधी एक बार फिर इनके मत्थे न मढ़ दिए जाएं और इसीलिए राहुल की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाकर ये लोग उन्हें साइड लाइन करने की तैयारी कर रहे हैं। एमपी उपचुनावों के वचन पत्र में राहुल की तस्वीर का न होना इसकी एक परिणीति हो सकता है।

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