प्यार की वजह से सबकुछ हार गए थे गुरुदत्त, एक-दो बार नहीं बल्कि तीन बार की थी आत्महत्या


 प्यार एक ऐसा शब्द है जो किसी गमगीन जिंदगी में रंग भर दे, तो वही प्यार जब न मिले तो ये हंसती खेलती जिंदगी भी उदासी भरा बना दे। ऐसा ही कुछ हुआ था गुरु दत्त (Guru Dutt) की जिंदगी में जब उन्हें एक बार नहीं बल्कि दो बार प्यार हुआ। ये प्यार ने उन्हें उस अंधेरे में ले गई कि उनकी जिंदगी में रोशनी के बाद भी कोई आंखों में कोई चमक नजर आई थी। गुरु दत्त ने अपनी जिंदगी में काफी सफलता हासिल की, लेकिन उनकी निजी जिंदगी में वह एकदम निराश थे। इसी निराशा में उन्होंने दो बार आत्महत्या करने की कोशिश की और तीसरी बार सुसाइड कर लिया। महज 39 साल की उम्र में गुरुदत्त की लाश उनके घर में मृत पाई गई थी। आइए जानते हैं उनकी गुमनाम जिंदगी के बारे में..

साल 1951 में गुरुदत्त फिल्म बाजी बना रहे थे जिसका गाना तदबीर से बिगड़ी हुई तक़दीर बना ले गीता ने गाया था। इसी के सेट पर गुरु और गीता की मुलाकात भी हुई थी। जिस वक्त गुरु दत्त सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ रहे थे, वहां ऑलरेडी गीता पहुंच चुकी थी।

एक तरफ जहां गुरु एक असिस्टेंट थे तो वहीं गीता उस वक्त की सफलतम सिंगर में से एक थी। बावजूद इसके दोनों के बीच मोहब्बत का सिलसिला शुरू हुआ। गीता बेहद सरल और सहज मिजाज की थी। वह अक्सर गुरु से मिलने उनके माटुंगा वाले फ़्लैट पर जाया करती थीं, और जाते ही सीधे वह किचन में चली जाती और सब्जी वगैरह काट लिया करती थी।

यही नहीं, गीता अक्सर दत्त परिवार के यहां बैठकों में भी गाना गाया करती और लोग उनकी आवाज को खूब सराहते थे। ऐसा चलते चलते दोनों के बीच का प्यार का खुमार चढ़ा और दोनों ने एक दूसरे को तीन साल तक डेट करने के बाद शादी कर ली। साल 1953 में दोनों ने शादी कर ली थी।

शादी के कुछ समय तक दोनों के बीच बेशुमार प्यार रहा। दोनों के तीन बच्चे भी हुए लेकिन फिर दोनों की लवस्टोरी में ट्विस्ट आया और वहीदा रहमान की एंट्री। फिल्म प्यासा के सेट पर वहीदा रहमान और गुरु दत्त की मुलाकात हो गई थी जिसके बाद दोनों के अफेयर की खबर उड़ने लगी थी।

वहीदा रहमान भी बेहद संजीदा शख्सियत थी। जब उन्हें पता चला कि उनकी वजह से गुरु दत्त और गीता के बीच दूरियां बढ़ रही हैं तो उन्होंने खुद दूर जाने का फैसला कर लिया था। हालांकि, गुरु दत्त और वाहिदा के बीच नजदीकियां बढ़ गई थी। गुरु वाहिदा से बेशुमार प्यार करने लगे थे।

लेकिन गुरु दत्त काफी बदकिस्मत निकले। वाहिद ने गीता के लिए जहां गुरु को छोड़़ दिया था, वहीं गीता गुरु के धोखे को बर्दाश्त नहीं कर पाई और बच्चों को लेकर घर छोड़ दिया। ऐसा तब हुआ जब गीता गुरु पर शक करने लगी थी। और सिर्फ शक ही नहीं बल्कि उन पर नजर भी रखने लगी थी।

एक बार तो ऐसा हुआ था कि गीता गुरु के नजदीकी दोस्त अबरार अल्वी के घर पहुंच गई थी और उनसे पूछताछ करने लगी थी। वह अबरार अल्वी के पास जाकर उनसे पूछताछ करने लगी और रोने लगी थी। ये तो कम है। एक बार तो ऐसा हुआ था कि गीता ने वाहिदा बनकर गुरु को लेटर भी भेजा था

जिसमें लिखा था, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। अगर तुम मुझे चाहते हो तो आज शाम को साढ़े छह बजे मुझसे मिलने नरीमन प्वॉइंट आओ। तुम्हारी वहीदा। गुरु को जब ये लेटर मिला तो उन्होंने सबसे पहले अपने दोस्त अबरार को दिखाया जिन्होंने इसे वहिदा का नहीं बताया और फिर सच जानने की कोशिश की गई।

इस बात की तह तक जाने की कोशिश करने के लिए दोनों नरीमन पॉइंट पहुंचे जहां गीता और उनकी दोस्त मौजूद थी। जिसके बाद गुरु काफी गुस्सा हुए थे और फिर गुरु गीता के बीच खूब लड़ाई हुई थी। इसके बाद गीता बच्चों के साथ घर छोड़कर चली गई। गीता के चले जाने के बाद गुरु दत्त बिल्कुल अकेले हो गए थे।

न ही वहीदा उनकी जिंदगी में थी और गीता वापस आने को तैयार नहीं थी। इस अकेलेपन में गुरु डिप्रेशन का शिकार हो गए थे और उन्होंने शराब पीना शुरू कर दिया था। वह इतने डिप्रेश हो गए थे कि उन्होंने एक दो बार नहीं बल्कि तीन बार आत्महत्या करने की कोशिश की थी।

उनके दोस्त अबरार अल्वी ने बताया था कि गुरु अक्सर आत्महत्या के बारे में बातें करते रहते थें। एक बार गुरुदत्त ने उनसे कहा था, “नींद की गोलियों को उस तरह लेना चाहिए जैसे मां अपने बच्चे को गोलियां खिलाती है। पीस कर और फिर उसे पानी में घोल कर पी जाना चाहिए। अबरार ने बताया था कि उस समय उन्हें लगा वो मज़ाक में ये बातें कर रहे थे। उन्हें क्या पता था कि गुरुदत्त इस मज़ाक का अपने ही ऊपर परीक्षण कर लेंगे।

बता दें कि, गुरु दत्त की मौत शराब पीने और नींद की गोलियां खाने की वजह से हुआ था। जिस दिन उनकी मौत हुई थी उससे एक दिन पहले गुरु दत्त पूरे दिन बिना कुछ खाए दारू पी रहे थे और गीता को धमकी दी थी कि अगर वह उनके बच्चों को नहीं मिलाती हैं तो वह मरा हुआ मुंह देखेंगी। लेकिन गीता नहीं आई और गुरु ने मौत को गले लगा लिया।

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