मंदिर और घरों में क्यों बजाई जाती है घंटी-घंटा, वजह कर देगी हैरान

 

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का काफी महत्व होता है और पूजा में घंटी का अपना स्थान होता है. मंदिर का द्वार हो या घर का मंदिर वहां घंटी या घंटे जरूर लगे होते हैं. पूजा घर और विशेष स्थानों में घंटी या घंटे लगाने का चलन आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से है. घंटी लगाने के पीछे लोगों की अलग-अलग विचारधाराएं हैं. लेकिन धार्मिक मान्यता के मुताबिक घंटी का रहस्य कुछ खास है. जिसके बारे में हम आज आपको बताएंगे.

घंटी लगाने का रहस्य
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो मंदिर के द्वार पर लगी घंटी या घंटे को बजाने से देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है और इससे पूजा व आराधना अधिक प्रभावशाली बन जाती हैं.
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इसके साथ ही घंटी के पीछे एक कारण ये भी माना जाता है कि, घंटी की ध्वनि से कान और मन-मस्तिष्क स्वच्छ हो जाते हैं और इससे शांति का अनुभव होता है.

कब-कब बजाई जाती हैं घंटी
मंदिरों और घरों में सुबह व शाम की पूजा या आरती के दौरान विशेष रूप से घंटी बजाई जाती है.
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इससे स्थान के साथ-साथ मन भी शांत होता है और अध्यात्म का अनुभव करता है.

चार प्रकार की घंटियां
आमतौर पर लोग घंटी और घंटे के बारे में ही जानते हैं लेकिन घंटियां चार प्रकार होती हैं. जो घंटी हाथ से बजाई जाती है यानि छोटी दिखने वाली घंटी उसे ‘गरुड़ घंटी’ कहते हैं. जो घंटी द्वार पर लटकी होती है उसे ‘द्वार घंटी’ कहते हैं. तीसरे प्रकार की घंटी वो होती है जो पीतल की एक ठोस प्लेट की तरह होती है और
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उसे लकड़ी के गद्दे से ठोककर बजाया जाता है ऐसी दिखने और बजाई जाने वाली घंटी को ‘हाथ घंटी’ कहा जाता है. चौथी प्रकार की घंटी नहीं बल्कि घंटा होता है जिसका आकार भी काफी बड़ा होता है. घंटा ज्यादातर मंदिरों में ही देखने को मिलता है. इसकी आवाज कई किलोमीटर तक सुनाई देती है.

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