‘फॉक्स हंट’ से कैसे अपने ही विदेश में रहने वाले नागरिकों के खिलाफ चीन रह रहा है साजिश

 


कम्युनिस्ट चीन का अपने ही नागरिकों का दमन करने का एक बहुत पुराना इतिहास रहा है। चाहे चीनी शासन के विरुद्ध आंदोलन करने के लिए टियानानमेन चौक का नरसंहार हो, या फिर हाँग काँग में लोकतंत्र की मांग करने के लिए नागरिकों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के नाम पर प्रहार, चीन द्वारा अपने ही नागरिकों का दमन किसी से नहीं छुपा है। लेकिन चीन के CCP की एक और गतिविधि पर बहुत ही कम लोगों का ध्यान जाता है, और वो है विदेशों में रहने वाले अपने नागरिकों का दमन, विशेषकर वो जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की जी हुज़ूरी न करे।

हाल ही में इसी नापाक गतिविधि की कलई खोलते हुए अमेरिका ने एक व्यापक अभियान चलाया, जिसके अंतर्गत अमेरिका के न्याय विभाग ने 28 अक्टूबर को CCP के आठ विदेशी एजेंट्स को हिरासत में लिया है। कहा जा रहा है कि ये एजेंट्स बड़े स्तर पर निगरानी  कर रहे थे, और चीनी मूल के अमेरिकियों पर चीन वापिस आने के लिए दबाव बना रहे थे। पिछले महीने ही अमेरिका ने एक तिब्बती नागरिक को तिब्बतियों पर जासूसी कर चीनी प्रशासन के साथ जानकारी साझा करने के लिए न्यूयॉर्क से हिरासत में लिया था।

एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर व्रे के अनुसार ऐसे गतिविधियों का मूल उद्देश्य है चीनी मूल के अमेरिकियों में ये भय फैलाना कि चीनी प्रशासन के विरुद्ध जो भी आवाज उठाएगा, उसका बहुत भयानक हश्र होगा। क्रिस्टोफर ने ये भी बताया कि ऐसे ऑपरेशन को अमेरिकी सरकार ने ‘फॉक्स हंट’ की संज्ञा दी , क्योंकि ये दमनचक्र केवल अमेरिका में रह रहे विद्रोही चीनियों के लिए नहीं, बल्कि दुनिया भर के चीनियों के लिए लागू होती है।

उधर चीन का मानना है कि ये फॉक्स हंट उसके अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का हिस्सा है, जिसे छह वर्ष पहले शी जिनपिंग के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया था। परंतु वास्तव में ये ऑपरेशन एक ही उद्देश्य पर काम करता है – चीन के दमनकारी नीतियों का विरोध करने वाले नागरिकों को कुचलने की नीति पर। परंतु एफ़बीआई के निदेशक केवल उतने पे ही नहीं रुके। उन्होंने ये भी बताया कि ये चीनी एजेंट ऑपरेशन फॉक्स हंट के अंतर्गत किस हद तक जा सकते हैं। क्रिस्टोफर के अनुसार यदि इन एजेंट्स को उनका शिकार नहीं मिला, तो वे उसके सगे संबंधियों को निशान बनाते हैं, और उन्हें आत्महत्या करने तक को विवश करते हैं। इतना ही नहीं, जिन लोगों के परिवार चीन में है, उनका अपहरण तक कर लिया जाता है, ताकि चीनी मूल के अमेरिकियों पर दबाव बढ़ाया जा सके।

इन दिनों अमेरिका जितने भी काउन्टर इंटेलिजेंस के मामलों को संभालती है, उनमें से अधिकतर मामले चीन से संबंधित है। क्रिस्टोफर व्रे के अनुसार, “चीनी सरकार मास हैकिंग, आइडेंटिटी थेफ्ट और आवश्यक बौद्धिक संपत्ति की चोरी में भी लिप्त रहती है।”उन्होंने ये भी बताया कि किस प्रकार से उनके नेतृत्व में एफ़बीआई ने फॉक्स हंट के अंतर्गत आने वाले शिकारों को और उनके परिवार को सुरक्षा देने का निर्णय किया है।

जिम्मेदार देशों की भांति स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग कर अपने ‘अपराधियों’ को ढूँढने के बजाए चीनी सरकार माफिया की तरह काम करती है। जहां भी चीन फॉक्स हंट जैसे ऑपरेशन को अंजाम देता है, वहीं के नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती है। यह किसी भी स्थिति में अस्वीकार्य है।

अगर इन अफसरों के विरुद्ध भ्रष्टाचार और विद्रोह के आरोप लगते हैं, तो ईश्वर ही जाने उनके विरुद्ध चीन में लौटने पर किस तरह से कार्रवाई की जाती है। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार अपने आप में फासीवाद और बर्बरता की जीती जागती प्रतिमूर्ति बन चुकी है। जैसे जॉर्ज ऑरवेल की पुस्तक 1984 में बिग ब्रदर के इशारे पर पूरा देश चलता था, वैसे ही चीनी प्रशासन के एक इशारे में दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे चीनी मूल के निवासियों पर अत्याचार ढाया जा सकता है, और मानवाधिकार, वो क्या होता है?

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