हर रात कब्रिस्तान में इसलिए जाकर चिल्लाते थे कादर खान, मरते दम तक नहीं पूरी हो पाई उनकी ये ख्वाहिश


बॉलीवुड के हर किरदार में फिट हो जाने वाले दमदार अभिनेता, लेखक कादर खान (Kader Khan) का नाम जब भी आता है, तो अमिताभ बच्चन और जितेंद्र जैसे सितारों का जिक्र होना जरूरी हो जाता है. इन अभिनेताओं को इंडस्ट्री में पहचान दिलाने में कादर खान की बड़ी भूमिका रही थी. उनका जन्म अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुआ था. अपने एक इंटरव्यू के दौरान निजी जिंदगी के बारे में बात करते हुए कादर खान ने कहा था कि, जब उनका जन्म हुआ था, उससे पहले तीन भाई का देहांत हो चुका था. यही नहीं बचपन में उन्होंने काफी जद्दोजहद का सामना किया. क्योंकि वो एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे. लेकिन इस संघर्ष भरी जिंदगी को अफगानिस्तान में छोड़कर कादर अपने माता-पिता के साथ भारत में आ गए.

साल 2018 की बात है, जब 31 दिसंबर को ये खबर आई कि एक्टर कादर खान दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. उनके निधन की खबर से पूरे देशभर में जैसे मातम पसर गया था. दरअसल कादर की मृत्यु कनाडा में हुई थी. वो किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. बात करें कादर के फिल्मी सफर की तो उन्होंने तकरीबन 300 फिल्मों में काम किया. इसके साथ ही लगभग 200 फिल्मों को लिए स्क्रीन प्ले लिखा. 1970 के बाद से ही उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में हर दिग्गज के साथ स्क्रीन शेयर करना शुरू कर दिया था. खास बात तो ये है कि, अमिताभ बच्चिन को एंग्रीमैन का खिताब दिलाने का श्रेय भी कादर खान को दिया जाता है. उन्होंने शहंशाह जैसी फिल्मों के लिए दमदार डायलॉग लिखे थे.

मरते दम तक नहीं पूरी हुई उनकी ये ख्वाहिश
एक दौरान की बात है, जब कादर ने अपनी चाहत के बारे में जिक्र किया था. जो उनके मरने तक पूरी नहीं हो सकी. दरअसल बीबीसी से हुई बातचीत में उन्होंने कहा था कि, मैं अमिताभ बच्चन, जया प्रदा और अमरीश पुरी के साथ फिल्म जाहिल बनाना चाहता था. इस फिल्म का निर्देशन भी मैं खुद करना चाहता था. लेकिन ऊपर वाले को शायद ये मंजूर ही नहीं था. क्योंकि फिल्म कुली के समय अमिताभ बच्चन काफी गंभीर रूप से चोटिल हो गए थे और फिर वो महीनों तक हॉस्पिटल में ही एडमिट रहे. इसके बाद जब उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली तो मैं (कादर खान) दूसरी फिल्मों में काफी ज्यादा बिजी हो गया था.

कब्रिस्तान में हर रात जाकर चिल्लाते थे
कहा जाता है कि, कादर खान की मां जब भी उन्हें पढ़ने के लिए मस्जिद भेजती थीं, तब वो वहां पर न जाकर कब्रिस्तान की ओर चले जाते थे. इसके बाद वहां पर बैठकर वो कई-कई घंटों तक चिल्लाते रहते थे. इसी दौरान की बात थी, जब एक रात कादर को किसी शख्स ने चिल्लाते हुए देख लिया था. उसके बाद उसने जब उनसे ये सवाल किया कि कब्रिस्तान में क्या कर रहे हो? तो कादर ने इसके जवाब में कहा कि मैं दिन में जब भी कुछ अच्छा पढ़ता हूं रात में यहां आकर बोलता हूं. ये मेरा रियाज का काम करता है. दिलचस्प बात तो ये थी कि जिस शख्स ने कादर से ये सवाल किया था वो फिल्मों में काम करते थे, और फिर उन्होंने कादर से पूछा कि तुम नाटक में काम करोगे?

कहते हैं कि उस समय अशरफ खान किसी ऐसे ही लड़के को नाटक के लिए ढूंढ रहे थे. ऐसे में जब उन्होंने कादर खान (Kader Khan) को देखा तो वो रोल उन्होंने कादर को ही दे दिया. नाटक के समय जब कादर को दिलीप कुमार ने देखा तो उन्होंने अपनी फिल्म सगीना के लिए उन्हें साइन कर लिया. इसके बाद राजेश खन्ना ने कादर खान को फिल्म रोटी में बतौर डायलॉग राइटर ब्रेक दिया था. इसके बाद तो फिल्म इंडस्ट्री में कादर खान का सिक्का जम गया और फिर उन्होंने कई फिल्मों में एक्टिंग करने के साथ न जाने कितनी फिल्मों के लिए दमदार डायलॉग लिखे.

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