संजय राउत का कश्मीर के अलगाववादियों पर हमला, कुछ और नहीं केवल राष्ट्रवाद का ढोंग है

 


शिवसेना जो लगातार इस दौर में कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन के चलते लानत-मलानत झेल रही है वो अब खुद को राष्ट्रवादी भी दिखाना चाहती है। इसीलिए  अब संजय राउत का बयान आया है कि कश्मीर के मुद्दे पर जो भी देश विरोधी बात करे उसके खिलाफ केन्द्र सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। ये बयान असल में दिखाता है कि अपने कोर मुद्दों पर शिवसेना बैकफुट पर चली गई है जिसके चलते वो छवि सुधारने की भूमिका में आ गई है जिससे जनता में उसकी प्रासंगिकता बनी रहे।

दरअसल, अनुच्छेद 370 से जुड़े कश्मीर के मुद्दे पर फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने जो बयान दिए हैं उससे पूरे देश में उनकी खिलाफत का माहौल बन गया है। इसको लेकर जब शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, अगर महबूबा मुफ्तीफारूक अब्दुल्ला और अन्य लोग चीन की मदद से कश्मीर में धारा 370 लागू करना चाहते हैं तो केंद्र सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए। अगर कोई भी व्यक्ति जो कश्मीर में तिरंगा फहराना चाहता हैउसे रोका जाता हैतो मैं इसे ‘राजद्रोह‘ मानता हूं।

गौरतलब है कि हाल ही में पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जब तक कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी नहीं होती तब तक वो न चुनाव लड़ेंगी न ही भारतीय झंडे को थामेंगी। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला अनुच्छेद 370 की वापसी के लिए चीन से सहयोग की बात कर चुके हैं। इन बयानों के आधार पर ही संजय राउत ने उन पर राष्ट्रदोह लगाने की मांग की है लेकिन हाल के माहौल में राष्ट्रवाद से जुड़े इन मामलों पर शिवसेना का रवैया भी दोगलेपन वाला हो चुका है।

शिवसेना जो फारुक अब्दुल्ला को निशाने पर ले रही है वो असल में उन्हीं फारुक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन करने वाली कांग्रेस गठबंधन किया है वो भी केवल सीएम पद की महत्वकांक्षा के कारण। ये दिखाता है कि शिवसेना केवल इस मुद्दे पर खुद को पाक साफ रखना चाहती है जबकि उसका चरित्र राजनीतिक महत्वकांक्षाओं के आधार पर बदलता रहता है।

छवि सुधारने की कोशिश

शिवसेना पर एनसीपी कांग्रेस के साथ सीएम पद के लिए गठबंधन करने के कारण लगातार आरोप लगते रहे हैं। ये कहा जाता है कि सीएम की कुर्सी पर जरूर उद्धव ठाकरे बैठे हैं लेकिन सरकार एनसीपी प्रमुख शरद पवार चला रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार लगातार विवादों में घिरी हुई है। इसमें शिवसेना की ही आलोचना हर मुद्दे पर की जा रही है। विपक्ष में बैठी बीजेपी के निशाने पर भी शिवसेना ही है। उद्धव ठाकरे की ये सरकार केवल एनसीपी कांग्रेस के एजेंडे पर चल रही है और शिवसेना के मुद्दे पूरी तरह से किनारे किए जा चुके हैं।

शिवसेना की लगातार बन रही हिन्दुत्व विरोधी और राष्ट्र विरोधी छवि अब उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है जिसका नतीजा ये है उसके नेता आए दिन हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद की नई परिभाषाएं गढ़ने लगे हैं। हाल ही में दशहरा रैली में उद्धव कुछ इसी अंदाज में बोलते नजर आए थे, जिससे ये साबित हो सके कि वो अभी भी अपने उस कोर एजेंडे पर टिके हुए हैं। इसी कड़ी में शिवसेना की तरफ से संजय राउत ने फारुक अबदुल्ला और महबूबा मुफ्ती को लेकर देशद्रोह से जुड़ा बयान दिया है जिससे वो दिखा सकें कि वे राष्ट्र के मुद्दे पर ऐसी बातों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

शिवसेना को समझ आ गया है कि उसके किए हुए कांड अब नई राजनीतिक मुसीबतें खड़ी करेंगें, इसीलिए अब उसके नेता धीरे-धीरे डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर रहे हैं और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर खुलकर बोल रहे हैं जिससे उनके कोर समर्थकों का उनसे मोह भंग न हो।

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