राक्षस होने के बावजूद रावण के गुणों की प्रशंसा करते थे देवी-देवता, रावण संहिता के इन उपायों से बन सकते हैं धनवान


देशभर में 25 अक्टूबर को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। इसके लिए पूरे जोश और उत्साह के साथ तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। कई जगह मेले लगे हैं। तो कई जगह पंडाल सजे हुए हैँ। इस पर्व को विजयादशमी भी कहा जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। रावण को बुराई का प्रतीक मानकर लोग इस दिन रावण के पुतले जलाते हैँ। लेकिन, एक राक्षस होने के बावजूद रावण के गुणों की प्रशंसा सभी देवी-देवता करते थे। रावण को महान पंडित की पदवी भी हासिल थी। रावण ने एक रावण संहिता की रचना की थी जिसमें उसने कई उपाय बताए थे। इन सभी उपायों को अपनाकर कोई भी व्यक्ति आसनी से अपना भाग्य बदल सकता है। तो चलिए जानते हैं कि, आखिर वो कौन से उपाय है।

1.आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए 21 दिनों तक रूद्राक्ष की माला लेकर ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ध्व: ध्व: स्वाहा’ मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति सुधरती है।

2.रावण संहिता में रावण ने दूर्वा को बहुत ही चमत्कारी माना है। कहा जाता है, धन प्राप्ति के लिए दूध में दूर्वा घास को माथे पर तिलक करने से धन की प्राप्ति होती है। और दुख दूर होते हैँ।

3.भगवान शिव पर चढ़ाने वाले बिल्व पत्र का उल्लेख रावण संहिता भी है। समाज में सम्मान और यश के लिए बिल्व पत्र को पीसकर चंदन को माथे पर लगाना चाहिए।

4.धन या जीवन से संबंधित किसी भी समस्या से छुटकारा पाने के लए “ॐ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा” इस मंत्र का जाप लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए। ऐसा करने से महालक्ष्मी की कृपा बढ़ती है। और धन की परेशानी दूर होती है। 

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